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स्थानीय निकायों के चुनाव का मामला फिर टला आगे

सुप्रीम कोर्ट में 1 सितंबर को होने वाली सुनवाई आगे टली

मुंबई/दि.31 – स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं के चुनाव तथा ओबीसी आरक्षण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में होने वाली सुनवाई को ऐन समय पर आगे टाल दिया गया है. यह सुनवाई कल 1 सितंबर को होना प्रस्तावित था. परंतु कामकाज के टाइम टेबल में इस याचिका का समावेश नहीं रहने के चलते इस सुनवाई के लिए बाद में कोई तारीख तय की जाएगी. जिसके चलते राज्य में स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं के चुनाव का मामला एक बार फिर अधर में लटक गया है.
विशेष उल्लेखनीय है कि, इस मामले को लेकर दायर याचिका का पिछली सुनवाई करीब 1 वर्ष पहले यानि अगस्त 2022 में हुई थी. जिसके बाद से सुनवाई को हमेशा ‘तारीख पे तारीख’ मिल रही है. जिसकी वजह से महानगरपालिका, जिला परिषद, पंचायत समिति व अन्य स्थानीय स्वास्थ्य संस्थाओं के चुनाव का मामला अधर में लटका हुआ है. इसी दौरान ओबीसी संवर्ग के राजनीतिक आरक्षण और स्थानीय स्वायत्त संस्था के चुनाव को लेकर 10 अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई होने वाली थी. परंतु उस समय भी सुनवाई को तीन हफ्ते के लिए आगे टाल दिया गया था. जिसकी वजह से उस समय भी स्थानीय स्वायत्त संस्था के चुनाव आगे टल गए थे.
वैसे तो सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पश्चात ओबीसी संवर्ग के राजनीतिक आरक्षण का रास्ता खुल गया था. परंतु यह फैसला आने से पहले ही 92 नगर परिषदों के चुनाव घोषित हो गए थे. इसके चलते कुछ लोगोें ने इस पर आक्षेप लेते हुए उन 92 नगर परिषदों को चुनाव में भी आरक्षण लागू करने की मांग करने वाली याचिका सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल की थी. इसके साथ ही महाविकास आघाडी में तैयार की गई वार्ड रचना को बदलने का निर्णय शिंदे सरकार द्बारा लिया गया था. इस नई वार्ड रचना को भी सर्वोच्च न्यायालय ने चुनौती दी है कि, दोनों बातों की वजह से स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं के चुनाव कानूनी पेंच में फंसे हुए है.

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