अन्य शहरमहाराष्ट्रमुख्य समाचारयवतमालविदर्भ

खेत में लगे पेड़ ने किसान को बनाया करोडपति

रेलवे से मिलेगा करीब 5 करोड का मुआवजा

* रक्तचंदन के पेड की प्रजाति से अनजान था किसान
* अब जानकारी सामने आते ही हुआ मालामाल
* यवतमाल जिले का मामला, किसान परिवार हर्षित
यवतमाल /दि. 16- यवतमाल जिले के खुर्शी नामक गांव में एक पेड़ ने एक किसान की जिंदगी बदल दी है. दरअसल खुर्शी गांव में एक किसान की जमीन पर सौ साल पुराना रक्त चंदन का पेड़ है. किसान को इसके बारे में जानकारी भी नहीं थी. रेलवे हेतु भूमि अधिग्रहण करने पहुंचे रेलवे के अधिकारियों ने जब इस पेड़ की पहचान की तो पता चला इसकी कीमत करोड़ों रुपये हैं. खुर्शी गांव के केशव शिंदे के खेत में यह पेड़ दशकों से खड़ा था. लेकिन परिवार को ना इस पेड़ के बारे में जानकारी थी और ना ही इसकी कीमत की. खेत में सर्वेक्षण करने आई रेलवे की टीम के अधिकारियों ने परिवार को बताया कि यह रक्त चंदन का पेड़ है, जो बेहद कीमती होता है. रेलवे ने जमीन का तो अधिग्रहण कर लिया, लेकिन पेड़ की कीमत देने से इनकार कर दिया. शिंदे परिवार रेलवे के इस रवैये के बाद अदालत पहुंच गया. कानूनी लड़ाई करीब एक दशक तक चली. मामला मुंबई हाई कोर्ट की नागपुर बैंच तक पहुंच गया और अब अदालत ने अब रेलवे को एक करोड़ रुपये राशि अदालत में जमा कराने का आदेश दिया. इस रकम में से पचास लाख रुपये शिंदे परिवार को दे दिए गए हैं. बाकी रकम पेड़ की कीमत के मूल्यांकन के बाद दी जाएगी. अदालत ने शिंदे परिवार के हक में फैसला दिया है. इसके बाद इस किसान परिवार में खुशी की लहर है. रक्त चंदन के इस पेड़ ने किसान परिवार को रातोंरात करोड़पति बना दिया है.
बता दें कि, रक्त चंदन का पेड़ बेहद दुर्लभ होता है और इसकी लकड़ी बहुत खास होती है. भारत मेंं इस लकड़ी का धार्मिक महत्व भी है जिसकी वजह से और कीमती हो जाती है. अनुमानों के मुताबिक भारतीय बाजार में एक किलो रक्त चंदन की कीमत 5 हजार से लेकर 25 हजार तक है, अंतरराष्ट्रीय बाजार में ये कीमत और भी अधिक बढ़ जाती है. इस पेड़ की लकड़ी गहरे लाल रंग की होती है जो इसे बेहद आकर्षक बताती है. सबसे बड़ी बात ये है कि ये पेड़ बहुत दुर्लभ होता है और कहीं-कहीं ही मिलता है. इसका इस्तेमाल धार्मिक कार्यों के अलावा बेहद उच्च गुणवत्ता का फर्नीचर बनाने के लिए भी किया जाता है. रक्त चंदन के पेड़ की लकड़ी के औषधीय गुण भी होते हैं और इस वजह से भी इसकी मांग रहती है. इसकी लकड़ी के पाउडर का इस्तेमाल कॉस्मेटिक उत्पादों में भी किया जाता है. आमतौर पर यह पेड़ आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक में पाया जाता है. तस्करों ने बड़े पैमाने पर इस पेड़ की कटाई की है जिसकी वजह से ये और भी दुर्लभ हो गया है. जापान और चीन समेत दुनिया के कई देशों में इस पेड़ की लकड़ी की मांग अधिक होने की वजह से इसकी तस्करी भी की जाती है. यदि किसी रक्त चंदन के पेड़ की उम्र पचास साल से अधिक है तो वो बाकी के मुकाबले में अधिक मूल्यवान हो सकता है. यवतमाल के किसान परिवार के इस पेड़ की वास्तविक कीमत क्या है ये मूल्यांकन के बाद ही पता चलेगी.
इस मामले को लेकर खुर्शी गांव निवासी किसान केशव शिंदे द्वारा गुहार लगाए जाने के बाद खेत में मौजूद एक सौ साल पुराने लाल चंदन के पेड़ की कीमत अदालत ने 4.97 करोड़ रुपये आंकी. जिसके चलते इस पेड़ ने केशव शिंदे किसान को रातोंरात करोड़पति बना दिया और एक पैतृक वृक्ष के कारण उन्हें अचानक यह लॉटरी जीत मिली. जानकारी के मुताबिक पुसद तहसील अंतर्गत खुर्शी गांव में रहनेवाले केशव शिंदे के 7 एकड़ के पुश्तैनी खेत में एक पेड़ है. 2013-14 तक शिंदे परिवार को यह नहीं पता था कि यह पेड़ किस चीज़ का है. 2013-14 में रेलवे विभाग ने एक सर्वेक्षण कराया. उस समय कर्नाटक से कुछ लोग इस रेलवे लाइन को देखने आये थे. उन्होंने बताया कि यह वृक्ष रक्त चंदन है और इसका मूल्य क्या है. उस समय शिंदे परिवार पूरी तरह सदमे में था. इसके बाद रेलवे ने जमीन का अधिग्रहण कर लिया, लेकिन रेलवे विभाग पेड़ की कीमत चुकाने में अनिच्छुक रहा. इसलिए, परिवार ने पेड़ का मूल्यांकन एक निजी संगठन से करवाया. उस समय इसकी कीमत 4 करोड़ 97 लाख रुपए बताई गई थी. लेकिन रेलवे ने इसे देने से इनकार कर दिया. इसलिए शिंदे परिवार अदालत चला गया. अदालत ने पेड़ के मूल्यांकन के लिए मुआवजे के रूप में एक करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया था. अब इसमें से पचास लाख रुपए किसानों के खाते में जमा करने के आदेश दिए गए हैं. शिंदे परिवार को वह पैसा निकालने की अनुमति दे दी गई है. प्रारंभ में, शिंदे परिवार ने लाल चंदन के पेड़ का मूल्यांकन एक निजी इंजीनियर से करवाया था. हालांकि, तब रेलवे ने इसे अनदेखा कर दिया. क्योंकि यह बहुत अधिक था, तो शिंदे ने उच्च न्यायालय में मामला दायर किया. तब अदालत ने शिंदे को एक करोड रुपए जमा कराने का आदेश दिया और यह रकम शिंदे ने अदालत में जमा भी करा दी. जिसमें से अब उन्हें 50 लाख रुपए निकालने की अनुमति मिल गई है. वहीं अदालत की ओर से मूल्यांंकन के बाद किसान केशव शिंदे को शेष राशि मिलेगी.
शिंदे की याचिका पर न्यायमूर्ति अविनाश खरोटे और न्यायमूर्ति अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई. मुआवजे के संबंध में 8 फरवरी, 2018 को आदेश पारित किया गया तथा लाल चंदन व अन्य पेड़ों के संबंध में आदेश पिछली सुनवाई में दिए गए. इसके बाद रेलवे ने अदालत को बताया कि 200 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान नहीं किया गया है.

Back to top button