राज्य में दबे पांव राष्ट्रपति शासन की आहट
26 नवंबर से पहले नई विधानसभा का गठित होना अनिवार्य
* सरकार बनने में विलंब होने पर लग सकता है राष्ट्रपति शासन
मुंबई /दि.21- महाराष्ट्र की 15 वीं विधानसभा के लिए गत रोज यानि बुधवार 20 नवंबर को पूरे राज्य में एक ही चरण के तहत मतदान कराया गया. जिसकी मतगणना 23 नवंबर को की जाएगी और चुनावी नतीजों के सामने आते ही यह स्पष्ट हो जाएगा कि, राज्य में किस गठबंधन को कितनी सीटें मिली है तथा किस गठबंधन के पास सरकार बनाने लायक जरुरी बहुमत का आंकडा है. बता दें कि, राज्य की मौजूदा 14वीं विधानसभा कार्यकाल आगामी 26 नवंबर को खत्म होने जा रहा है. इससे पहले 23 नवंबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होते ही नवनिर्वाचित विधायकों के नाम स्पष्ट हो जाएंगे. इसके चलते 26 नवंबर तक निर्वाचन आयोग द्वारा तमाम आवश्यक प्रक्रिया को पूर्ण करते हुए नई विधानसभा के गठन को अनुमति व मान्यता भी दे दी जाएगी. लेकिन इन तीन दिनों के दौरान ही किसी सरकार का गठन हो पाएंगा, ऐसा कहना थोडा मुश्किल है. ऐसे में पुरानी सरकार व पुरानी विधानसभा के भंग हो जाने तथा नई सरकार के अस्तित्व में नहीं आने के चलते राज्यपाल की अनुशंशा पर महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन तक राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है. ऐसी स्पष्ट संभावना दिखाई दे रही है.
उल्लेखनीय है कि, विधानसभा का चुनाव निपटने के साथ ही विभिन्न सर्वेक्षण एजेंसियों द्वारा जारी किये गये एक्झीट पोल के रुझानों को देखते हुए माना जा रहा है कि, राज्य में इस बार भी महायुति की सरकार बनने जा रही है. वहीं महाविकास आघाडी को भी अच्छी खासी सफलता मिलने की संभावना जतायी जा रही है. यानि चुनावी नतीजे घोषित होने के बाद भी महायुति व महाविकास आघाडी के बीच काटे की टक्कर वाला मुकाबला रहेगा. ऐसे में यदि महाविकास आघाडी या महायुति में से किसी भी एक गठबंधन द्वारा बहुमत के लिए जरुरी रहने वाला संख्या बल जुटाते हुए राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने हेतु दावा पेश किया जाता है, तो आगामी एक सप्ताह के भीतर राज्य में नई सरकार का गठन भी हो सकता है. परंतु यदि दोनों ही दल बहुमत के जादूई आंकडे से दूर रहते है, तब जोडतोड वाली राजनीति शुरु होने की जबर्दस्त संभावना रहेगी. जिसके चलते नई सरकार बनने में थोडा विलंब लग सकता है और उस स्थिति में राज्यपाल की अनुशंशा पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है.
इस संदर्भ में राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक 26 नवंबर से पहले नई सरकार का गठित होना अनिवार्य नहीं है. बल्कि 26 नवंबर से पहले नई विधानसभा का गठित होना जरुरी है. ऐसे में मतगणना वाले दिन अथवा इसके दूसरे दिन राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा भारतीय जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 63 के अनुसार विधानसभा गठित होने के संदर्भ में अधिसूचना का मसौदा राज्यपाल के पास पेश करेंगे. इसके पश्चात राज्यपाल इसे लेकर राजपत्र जारी करने की अनुमति देंगे और फिर एक राजपत्र के अनुसार महाराष्ट्र की 15 वीं विधानसभा का गठन होगा. यह पूरी प्रक्रिया 26 नवंबर से पहले पूर्ण करनी होगी. जिसके बाद किसी भी एक अथवा दोनों दलों द्वारा राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने हेतु अपना दावा पेश किया जा सकेगा. विधान मंडल से संबंधित सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल के पास सरकार स्थापित करने का दावा करने वाले नेता व राजनीतिक दल को अपने समर्थन में रहने वाले विधायकों के हस्ताक्षर वाले पत्र भी जोडने होंगे और यह भी बताना होगा कि, संसदीय दल का नेता कौन रहेगा. राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए सरकार स्थापित करने हेतु दावा पेश करने वाले गठबंधन व नेता के पास न्यूनतम 145 विधायकों का समर्थन रहना आवश्यक रहेगा और बहुमत के साथ सरकार स्थापित करने हेतु दावा पेश करने वाले नेता को राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री पद व सरकार स्थापित करने हेतु आमंत्रित किया जाएगा. जिससे पहले राज्यपाल द्वारा संबंधित नेता को समर्थन देने वाले विधानसभा सदस्यों के समर्थन की जांच पडताल भी की जा सकती है. इसके बाद मंत्रिमंडल की शपथविधि पश्चात विधानसभा का पहला अधिवेशन होगा. जिसमें विधायकों की शपथविधि होगी और अधिवेशन के इस पहले दिन से ही विधानसभा का कार्यकाल शुरु होगा.