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राज्य में नेत्रसंकलन का प्रमाण कम

नेत्रदान के लिए विशेष तौर पर अधिक प्रयासों की जरुरत

मुंबई /दि.5- इस समय राज्य सहित देश में अंधत्व का प्रमाण लगातार बढ रहा है. परंतु आंखों की उपलब्धता पर्याप्त प्रमाण में नहीं है. साथ ही नेत्रपटल की उपलब्धता को लेकर यहीं स्थिति है. ऐसे में नेत्रदान अभियान को गतिमान करने के साथ ही नेत्रदान के लिए व्यापक स्तर पर जनजागृति करने हेतु सरकार द्बारा नीतिगत निर्णय लिए जाने की जरुरत है. इस संदर्भ में राज्य आरोग्य सेवा आयुक्तालय द्बारा दी गई जानकारी के मुताबिक 1 जनवरी 2019 से मई 2023 की कालावधि दौरान कुल 18 हजार 491 नेत्र एवं नेत्रपटलों का दान किया गया है. यानि साधारण तौर पर 9 हजार 246 व्यक्तियों का मरणोपरांत नेत्रदान हुआ. संकलित किए गए नेत्रों में से नेत्र प्रत्यारोपण का प्रतिशत मात्र 55.58 फीसद रहने की जानकारी दर्ज की गई है. यानि नेत्र संकलन की तुलना में नेत्र प्रत्यारोपण का प्रमाण काफी कम है.
बता दें कि, राज्य में सालाना औसतन साढे 8 लाख लोगों की मौत होती है. इसमेंसे जिन लोगों ने नेत्रदान करने का प्रतिज्ञापत्र पहले से भरा होता है. उसमें से भी 3 फीसद लोगों का मरणोप्रांत नेत्रदान नहीं किया जाता. राज्य में 83 पंजीकृत नेत्र पेढिया है. साथी ही 245 नेत्र प्रत्यारोपण केंद्र है. राज्य के प्रत्येक जिले में कम से कम एक नेत्र पेढी की उपलब्धता रहना बेहद आवश्यक है. परंतु हकीकत में ऐसा नहीं है. इसकी ओर भारतीय नेत्र पेढी संगठन के पश्चित विभाग अध्यक्ष डॉ. स्वप्निल गावंडे द्बारा ध्यान दिलाया गया है. साथ ही उन्होंने बताया कि, समाज में रहने वाली विविध प्रकार की अंधश्रद्धाओं व गलतफहमियों की वजह से नेत्रदान अभियान अब तक अपने अपेक्षित उद्देश्यों को पूरा नहीं कर पाया है. ऐसे में नेत्रों की उपलब्धता नहीं रहने के चलते कुछ बीमारियों की वजह से अंधत्व का शिकार होने वाले छोटे बच्चों के लिए नेत्र बुबुल समय से उपलब्ध होने में काफी दिक्कतें आती है. जिसे ध्यान में रखते हुए किसी भी व्यक्ति की मृत्यु पश्चात उसका नेत्रदान करने हेतु उसके परिजनों व रिश्तेदारों द्बारा निर्णय लिया जाना बेहद जरुरी होता है. जिसके लिए सभी लोगों का प्रबोधन किया जाना बेहद जरुरी है.

* राज्य में नेत्रदान व नेत्र प्रत्यारोपण के आंकडे
वर्ष नेत्रदान नेत्र प्रत्यारोपण प्रतिशत
2019-20 6,653 3,059 45.97
2020-21 1,355 847 62.50
2021-22 3,172 1,947 61.68
2022-23 4,456 2,477 55.58

* आंकडे बढाने के लिए ऐसे भी काम
कई दुर्धर बीमारियों सहित पिलिया, रैबिज, कई प्रकार के कैंसर, सेक्टीसेमिया रहने वाले व्यक्ति की मृत्यु पश्चात उनकी आंखें नेत्रदान व नेत्र प्रत्यारोपण के लिहाज से किसी काम की नहीं रहती. परंतु इसके बावजूद कुछ नेत्र संकलन केंद्रों द्बारा ऐसे व्यक्तियों की मृत्यु पश्चात उनका नेत्रदान स्वीकार किया जाता है. ताकि नेत्रदान के आंकडे को अधिक दर्शाया जा सके. परंतु हकीकत में कितने नेत्रप्रत्यारोपण होते है. यह अपने आप में सबसे बडे अध्ययन का विषय है. इसकी ओर विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया है.

* लाईसेंस रद्द क्यों नहीं होता
नेत्र संकलन केंद्र द्बारा नेत्र पेढी में प्रत्यक्ष जाकर नेत्रदान करवाया जाता है. जिन्हें आवश्यक प्रक्रिया करने के बाद नेत्र प्रत्यारोपण केंद्र के पास भेजा जाता है. इसके लिए नेत्र पेढी के लाईसेंस का प्रयोग किया जाता है और इसकी सुविधा के तौर पर उपलब्धता दर्शायी जाती है. मृत्यु वाले स्थान पर जाकर नेत्रदान नहीं करवाया जाता, तो ऐसे नेत्र पेढी व नेत्र संकलन केंद्र का लाईसेंस रद्द क्यों नहीं किया जाता. यह अपने आप में सबसे बडा सवाल है.

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