* आदिवासी परिवार के बच्चे ईटभट्टों पर मेहनत करते दिखाई देते है
धारणी/ दि.12 – कोरोना महामारी के समय दो वर्ष बाल मजदूरी के विरोध में अभियान नहीं चलाया गया. पिछले वर्ष जिले में पांच जगह छापे मारे गए. तीन बाल मजदूरों को आजाद कराया गया. कोंडेश्वर मार्ग के ईटभट्टे पर दो बालमजदूरों का शोषण रोककर उचित कार्रवाई की गई. मेलघाट के आदिवासी बच्चों को ईटभट्टों पर काम करने के लिए ले जाकर शोषण किया जाता है. कोंडेश्वर व अंजनगांव बारी मार्ग पर 50 से 60 ईटभट्टे है. इस परिसर में सैकडों आदिवासी बाल मजदूर काम करते हैं. इस वजह से उन बच्चों का शिक्षा का अधिकार छिना जा रहा है. उनकी जिंदगी बर्बादी की राह पर ले जायी जा रही है. इसके लिए जिम्मेदार कौन?, ऐसा प्रश्न सामाजिक कार्यकर्ताओं व्दारा उठाया जा रहा है.
देश का भविष्य आने वाली नई पीढी के हाथ में है. देश विकास की ओैर अग्रेसर हो रहा है. ऐसे में कुछ राजनेताओं व्दारा गुमराह किया जाना आम बात है. इस विकास में आदिवासी बच्चे कहा है? ऐसा प्रश्न आज भी निर्माण हो रहा है. काम के लिए स्थलांतरीत मेलघाट के आदिवासी बांधवों के बच्चे ईटभट्टे पर काम करते है. जिससे उनकी शिक्षा का अधिकार छिना जा रहा है, जिंदगी बर्बादी की कगार पर है. मेलघाट में रोजगार का अवसर न होने के कारण आदिवासी बांधव अपने परिवार के साथ रोजगार की तलाश में यहां-वहां भटकते है. माता-पिता के साथ छोटे बच्चे भी काम करने लगते है. इसमें कुछ आदिवासी महिलाएं गर्भवती और कुछ स्तनदा माता है, उनके स्वास्थ्य की भी समस्या निर्माण हुई है. इस ओर प्रशासन को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, ऐसी मांग यहां के सामाजिक कार्यकर्ताओं व्दारा की जा रही है.