वर्धा/दि.2- मस्तिष्क में रक्तस्त्राव होने से बे्रन डेड हुए मरीज के अवयवदान से सावंगी मेघे के आचार्य विनोबा भावे ग्रामीणा रुग्णालय में जरुरतमंद मरीज पर कीडनी यानी मूत्रपिंड प्रत्यारोपण किया गया. ताराचंद रामनाथ बांभोरे (31) नामक युवा मरीज के मरणोत्तर अवयवदान के कारण तीन मरीजों को नवजीवन प्राप्त हुआ.
नागपुर जिले के सावनेर निवासी ताराचंद बांभोरे को ब्रेन हेमरेज के कारण नागपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था. वहां उपचार के दौरान ब्रेन डेड होने की बात जांच में स्पष्ट हुई. वैद्यकीय उपचार के लिए मरीज की तरफ से कोई प्रतिसाद न मिलता देख वहां के शल्य चिकित्सक ने ताराचंद की पत्नी नीलम और परिवार के सदस्यों को पूर्व कल्पना दी. केवल डेढ वर्ष का बालक कोख में रहते पति मृत्यु से जूझता रहते अवयव के रुप में पति का अस्तित्व रहेगा, इस भावना से नीलम बांभोरे ने पति का अवयवदान करने का निर्णय लिया. परिजन व रिश्तेदारों की अनुमति मिलने के बाद क्षेत्रिय अवयव प्रत्यारोपण समन्वय समिति की अनुमति से अवयव शरीर से निकालने की प्रक्रिया पूर्ण की गई. इस अवयवदान से मरीज की एक कीडनी का प्रत्यारोपण नागपुर के वोक्हार्ट हॉस्पिटल में 45 वर्षीय महिला मरीज पर तथा दूसरी कीडनी का प्रत्यारोपण सावंगी मेघे हॉस्पिटल में 36 वर्षीय पुरुष मरीज पर किया गया. इसके अलावा नागपुर के न्यू ईरा हॉस्पिटल के 39 वर्षीय मरीज पर लीवर का प्रत्यारोपण किया गया.
* सावंगी मेघे में 11वीं प्रत्यारोपण शस्त्रक्रिया
सावंगी मेघे के सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल में ब्रेन डेड मरीज के अवयवदान से हुई यह 11वीं मूत्रपिंड प्रत्यारोपण शस्त्रक्रिया है. झेडटीसीसी के अध्यक्ष तथा वरिष्ठ शल्य चिकित्सक डॉ. संजय कोलते समेत डॉ. अक्षय कृपलानी, डॉ. शिवचरण बालगे, डॉ. ऋतुराज पेडनेकर, नेफ्रोलॉजीस्ट डॉ. अमित पसारी, डॉ. कपील सेजपाल, डॉ. प्रसाद गुर्जर, डॉ. प्रांजल काशिव, डॉ. वर्मा, डॉ. शीतल समेत सिस्टर मृणाल, सुनीता रघटाटे, माधुरी, भारती के दल ने कीडनी प्रत्यारोपण शस्त्रक्रिया पूर्ण की. इस प्रक्रिया में सावंगी अस्पताल के मुख्य वैद्यकीय अधीक्षक डॉ. चंद्रशेखर महाकालकर, विशेष कार्य अधिकारी डॉ. अभ्युदय मेघे, जनसंपर्क अधिकारी संजय इंगले, प्रत्यारोपण समन्वयक डॉ. रुपाली नाईक, प्रशासकीय अधिकारी डॉ. विठ्ठल शिंदे, राजेश सवालाखे, आदित्य भार्गव, अहमिंद्र जैन, स्नेहा हिवरे ने विविध स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.