अंततः विजय शिवतारे ने पीछे खींचे कदम
पवार के गढ बारामती से चुनाव लडने को लेकर की थी घोषणा
पुणे/दि.30- अजित पवार को सत्ता की गरमी, बारामती से लोकतंत्र के लिए चुनाव लडने, चुनाव क्षेत्र में पांच लाख पवार विरोधी मतदान, इसके लिए मैं चुनाव लड रहा हुं. ऐसा कहने वाले पवार परिवार के विरोधक आक्रमक भूमिका लेने वाले शिवसेना नेता व पूर्व मंत्री विजय शिवतारे नें आखिर में अपनी तलवार मयान में वापस रख ली है. अब लोकसभा चुनाव बारामती से नही लडने की घोषणा उन्होनें की है. महायुती व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मुश्किल में न आए इसके लिए उन्होनें अपना नाम वापस लेने के लिए यह निर्णय लिया है. इस तरह की जानकारी उन्होनें पत्रकार परिषद में दी है.
बारामती का सातबारा पवार कुटुंब के नाम पर है क्या? बारामती में अब पवार विरुध्द पवार की लडाई है. चुनाव क्षेत्र में रहने वाले साढे पांच लाख पवार विरोधी मतदाताओं ने अब क्या करना. इसके लिए चुनाव लड रहे है. ऐसा शिवतारे 20 दिनों से कह रहे है. पार्टी कार्रवाई करेगीं भी तो मैं चुनाव लडुगां. फांसी पर भी चढा दो मैं लडुगां ही. ऐसे बडे दावे करने वाले शिवतारे का सूर अब बदल गए है. विगत 20 दिनों से पवार विरोधी सूर अलापने वाले पवार को कपटी राजकरणी की संज्ञा देने वाले शिवतारे ने आज महायुती को होने वाले संभाव्य नुकसान की सूची की पढी.
क्या कहा था शिवतारे ने
महिने भर पहले हुए एक कार्यक्रम में बारामती से लडने की भूमिका रख, विगत 15 दिनों में मैं उस बात पर अडिग हुं. कार्यकर्ता काम से लग गए है. भोर, इंदापुर, पुरंदर, दौंड, खडकवास से अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है. इस दौरान मुख्यमंत्री शिंदे से दो बार चर्चा हुई. मगर फिर भी मैं मेरी भूमिका पर अडिग हुं. जिसके कारण मुख्यमंत्री मुझ पर गुस्सा है. ऐसी बात शिवतारे ने कही. मुख्यमंत्री शिंदे के ओएसडी खतगांवकर का मुझे फोन आया. तुम्हारे जैसी भूमिका अन्य मतदार क्षेत्र में नाराज नेताओं ने ली और सभी ने अपक्ष खडे रहे तो क्या होगा? तुम्हारे कारण राज्य भर में गलत मैसेज जाएगा. सभी ओर बंडखोरी होने से महायुती के 10 से 20 उम्मीदवार हार जाएगे. तुम्हारे व्दारा लिया गया फैसला महायुती को, शिंदे साहेब को अडचन में डाल सकता है. ऐसा खतगांवकर ने मुझसे कहा. जिसके बाद मैने क्षणभर में मैनें अपने कदम पीछे लेने का निर्णय लिया. ऐसा शिवतारे ने कहा.
शिंदे-फडणवीस, अजितदादा की मुलाकात के बाद शिवतारे ने मयान में की तलवार, आज वाद मिटने की आशंका-
मुख्यमंत्री के ओएसडी खतगांवकर ने मुझे महायुती में हुई अडचन के बारे में बताया. जिसके कारण मैंने वापसी का निर्णय लिया. मेरे कारण महायुती को नुकसान होने की आशंका है. तो यह प्रकरण मेरे हाथों से न घटे. अगर ऐसा हुआ तो वह इतिहास लिखा जा सकता था. जिसके कारण मैंने फैसला लिया. इतिहास में पुरंदर के निर्णय को अलग महत्तव है. ऐसा कहते हुए बापू ने अपने निर्णय को वही दबाने का प्रयास किया.