भक्तों की मन्नत पूरी कराने के लिए एम्बुलेंस का उपयोग
मेलघाट के स्वास्थ्य विभाग ने उडाई अधिकारों की धज्जियां
* हतरु प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का अजिबोगरीब कामकाज
धारणी/ दि.1– मेलघाट की स्वास्थ्य यंत्रणा कुपोषण के लिए सुसज्जित है. यही ब्रीदवाक्य लेकर काम किये जाने का ढुंढोरा हमेशा पीटा जाता है. दूसरी तरफ अति दुर्गम क्षेत्र में रहने वाले हतरु प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की एम्बुलेंस सीधे 45 किलोमीटर दूर जंगल में मन्नत की पूजा के लिए दिनभर के लिए भक्तों को लेकर गई. यह चौकाने वाली बात उजागर हुई है. यहां की स्वास्थ्य यंत्रणा कितनी सजग है, यह पता चल रहा है. इस बारे में पूछने पर संबंधित डॉक्टर कहते है कि, एम्बुलेंस का ब्रेक खराब होने के कारण व अन्य मरम्मत के कामों के लिए गैरेज में खडी थी, जबकि हकीकत कुछ और है.
कुपोषण का कलंक रहने वाले मेलघाट में गर्मी के मौसम से ही बारिश की निर्माण होने वाली समस्या और सभी तरह के बीमारियों का नियोजन किया जाता है. दूसरी ओर मेलघाट में गर्भवती व अन्य दुर्घटना के समय मरीजों को एम्बुलेंस नहीं मिलती. यह हकीकत है. हमेशा इसी बात को लेकर विवाद होता है. परंतु अति दुर्गम क्षेत्र में रहने वाले हतरु प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की एम्बुलेंस क्रमांक एमएच 27/एए- 5131 को सोमवार के दिन अपने कार्य क्षेत्र के बाहर कोयलारी स्थित सोमेश्वर भोले मंदिर में मन्नत की पूजा के लिए भक्तों को लेकर गई थी. दोपहर 12 बजे आयी एम्बुलेंस शाम 6 बजे वापस गई. इसकी जानकारी शिवसेना तहसील प्रमुख मंगलसिंग धुर्वे और कुछ गांव के लोगों ने दी है.
राज्य में बकरे व पशु की मन्नत पर बलि देने की अंधश्रद्धा निर्मुलन कानून के तहत बंदी है. मेलघाट के लोग परंपरागत पूजा अर्चना व मन्नत की पूजा देते है. इसके कारण चिखलदरा स्थित देवी पाँईंट, कोयलारी के सोमेश्वर मंदिर आदि कई स्थानों पर पशुओं की बलि देने की परंपरा शुुरु है. कोयलारी से पश्चिम में 1 किलोमीटर दूरी पर सोमेश्वर मंदिर है. परिसर के नागरिक सोमवार व गुरुवार को वहां मन्नत की पूजा के नाम पर 50 से 60 बकरों की बलि देते हैं. स्वास्थ्य केंद्र की ऐसी करतुत को देखते हुए गांववासियों व्दारा उचित कार्रवाई करने की मांग की जा रही है.