विदर्भ ने कांग्रेस को सदैव दी है ताकत
कल मिशन 2024 का नागपुर में किया जायेगा ऐलान
* चौथी राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक
नागपुर/ दि.27 – देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करने की रणनीति हो या फिर इंदिरा गांधी को संकटकाल में मुखर बनाने की ताकत, नागपुर में ही मिली थी. महात्मा गांधी को यहा हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के अधिवेशन में ही अंग्रेजो से संघर्ष से संघर्ष की रणनीति बनाने की अनुमति मिली थी और इंदिरा गांधी को नागपुर में हुए अधिवेशन में ही राष्ट्रीय अधिवेशन बनाया गया था और उन्हें शेरनी की पहचान मिली थी. आजादी के बाद भी जब- जब कांग्रेस खतरे में आयी तब नागपुर सहित संपूर्ण विदर्भ ने उन्हें ताकत प्रदान की. अब 28 दिसंबर 2023 को नागपुर में ही कांग्रेस का चौथा राष्ट्रीय कार्यकारिणी का अधिवेशन होनेवाले वाला है. इसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खडगे सहित देशभर के पार्टी नेता शामिल होंगे. जिस संघभूमि से भाजपा को ताकत मिल रही है उसी भूमि से कांग्रेस आगामी चुनाव के मद्देनजर मिशन 2024 का ऐलान करने जा रही है. प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले सहित सभी स्थानीय पार्टी नेता मान रहे है कि यह अधिवेशन पार्टी में नई जान फूंकेगा, कम से कम 10 लाख कार्यकर्ताओं के इसमें शामिल होने का दावा नेता कर रहे है.
* बनी अंग्रेजों के खिलाफ रणनीति
देश से अंग्रेजी हुकूमत को खदेडने के लिए कांग्रेसस अपनी अंतिम रणनीति तैयार कर रही थी और वह रणनीति नागपुर में फाइनल हुई थी. सितंबर 1920 में कोलकाता में आयोजित कांग्रेस के विशेष राष्ट्रीय अधिवेशन में महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव रखा था. लेकिन कोलकाता में इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका. उसके बाद 26 दिसंबर 1920 को नागपुर में वार्षिक अधिवेशन आयोजित हुआ. जिसमें महात्मा गांधी, पं. जवाहरलाल नेहरू सहित कांग्रेस के दिग्गज नेता शामिल हुए. नागपुर में यह दूसरा अधिवेशन था. इसके पूर्व वर्ष 1891 में नागपुर में कांग्रेस कार्यकारिणी का अधिवेशन हुआ था. 1920 में हुए अधिवेशन में महात्मा गांधी के प्रस्तावों को मंजूरी मिल गई और देशभर में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आंंदोलन शुरू हो गए. इस अधिवेशन में गांधी को सर्वसामान्य नेता के रूप में पहचान मिली.े अधिवेशन के प्रस्ताव पारित होने के बाद सिरसपेठ में पूनमचंद राका की जगह पर पहला असहयोग आश्रम और बाद में जनरल आवारी के घर पर दूसरा असहयोग आश्रम बना था.
* बैल जोडी था चुनाव चिन्ह
कांग्रेस का चुनाव चिन्ह उस दौरान बैल जोडी था. 1959 के अधिवेशन में अपने नेताओं का स्वागत करने शहर कांग्रेस ने 64 बैलजोडी की रैली निकाली थी. अधिवेशन पश्चात उस ऐरिया का नाम कांग्रेस नगर हो गया था.
* बुरी तरह हारी थी कांग्रेस
आपातकाल के कारण कांग्रेस देश में चुनाव हार गई. उस कठिन दौर में भी विदर्भ से कांग्रेस को ताकत मिली. नागपुर के गेव आवारी और वसंत साठे प्लेन से इंदिरा गांधी के संघ नागपुर पहुंचे. उन्हें पवनार जाना था. गांधी को लग रहा था कि यहां उनका विरोध होगा. लेकिन जैसे ही वे सांसद आवारी और साठे के कहने पर बाहर आयी तो हजारों की भीड उनका स्वागत करने खडी थी. इतने लोग आए थे कि इंदिराजी को पवनार जाने में 5 घंटे लग गए. तीन दिन वे वहां रही और सभी कार्यकर्ताओं से मिलती रही.
बॉक्स, फोटो- शेखावत और देशमुख
* अमरावती से जायेंगे हजारों
शहर जिला कांग्रेस कमिटी अध्यक्ष बबलू शेखावत ने बताया कि कल नागपुर में होनेवाली महा रैली में अमरावती शहर से हजारों कार्यकर्ता सहभागी होंगे. लगभग 200 वाहनों का प्रबंध किया गया है. नेहरू मैदान और अन्य भागों से वाहनों से कार्यकर्ता, पदाधिकारी नागपुर प्रस्थान करेंगे. जिलाध्यक्ष बबलू देशमुख ने भी बताया कि देहातों से हजारों कार्यकर्ता नागपुर रैली में सहभागी होने उत्सुक है. रैली को श्रीमती सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे संबोधित करेेंगे. अत: उन्हें सुनने के लिए पार्टी कार्यकर्ता बडे आतुर हैं.