प्रदेश कांग्रेस में विदर्भ का दबदबा कायम
प्रदेशाध्यक्ष सहित गुटनेता पद भी विदर्भ के हिस्से में
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* हर्षवर्धन सपकाल को मिला कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष पद
* वडेट्टीवार को गुटनेता पद के तौर पर आक्रामकता का पुरस्कार
* कांग्रेस ने विभागीय संतुलन साधने पर भी दिया ध्यान
नागपुर/दि. 14 – कांग्रेस आलाकमान ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हुई पार्टी की हार के बाद प्रदेश कांग्रेस ने आमुलचूल परिवर्तन करते हुए बुलढाणा के पूर्व विधायक हर्षवर्धन सपकाल को प्रदेशाध्यक्ष तथा विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष व विधायक विजय वडेट्टीवार को विधान मंडल गुट नेता पद पर नियुक्त किया है. राष्ट्रीय कांग्रेस ने प्रदेश कांग्रेस के दो महत्वपूर्ण पद देकर एक बार फिर विदर्भ को झुकता माप दिया है. जहां इससे पहले यह दोनों पर पूर्वी विदर्भ के ही हिस्से में थे. वहीं इस बार प्रदेशाध्यक्ष पद पश्चिम विदर्भ को तथा गटनेता पद पूर्वी विदर्भ को देकर कांग्रेस ने अंतर्गत विभागीय संतुलन साधने का भी प्रयास किया है.
बता दें कि, बुलढाणा के पूर्व विधायक हर्षवर्धन सपकाल महाराष्ट्र के राजीव गांधी पंचायत राज संगठन के अध्यक्ष है. इससे पहले महाराष्ट्र युवक कांग्रेस के उपाध्यक्ष रह चुके हर्षवर्धन सपकाल को सर्वोदय विचारों पर आधारित राष्ट्र निर्माण युवक शिविरों के आयोजन का अनुभव भी है. ऐसे में वे कांग्रेस की विचारधारा को लेकर बेहद प्रामाणिक व समर्पित है तथा भाजपा के आक्रामक प्रचार का बडी मजबूती के साथ सामना भी कर सकते है. विदर्भ की मिट्टी में जमिनी स्तर पर राजनीतिक रुप से तैयार हुए हर्षवर्धन सपकाल के पास दिल्ली में काम करने का अनुभव भी है और उनका कांग्रेस नेत्री सोनिया गांधी व सांसद राहुल गांधी के साथ सीधा कनेक्शन है. जिसके चलते पक्षांतर्गंत कलह वाली राजनीति में हर्षवर्धन सपकाल को घेरने का काम उनकी नियुक्ति से आहत रहनेवाले नेताओं के लिए भी काफी मुश्कील रहेगा.
इसी तरह विधायक विजय वडेट्टीवार ने अपने विगत कार्यकाल दौरान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका बडे आक्रामक तरीके से निभाई. इससे पहले राधाकृष्ण विखे पाटिल के नेता प्रतिपक्ष रहते समय वडेट्टीवार उपनेता हुआ करते थे, तथा विखे पाटिल के भाजपा में चले जाते ही वडेट्टीवार को नेता प्रतिपक्ष पद पर प्रमोशन मिला था. परंतु इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अपेक्षित सफलता नहीं मिली तथा अपर्याप्त संख्याबल के चलते कांग्रेस के हाथ से नेता प्रतिपक्ष का पद चला गया. लेकिन वडेट्टीवार के विरोध की भार कम नहीं हुई. बल्कि उन्होंने मंत्रियों के भ्रष्टाचार से लेकर महायुति सरकार की कमियों को आक्रामक तरीके से प्रहार करना शुरु ही रखा. यही वजह रही कि, पार्टी हाईकमान से उन्हें उनकी इस आक्रामकता का पुरस्कार विधान मंडल गटनेता के तौर पर मिली है. पिछले टर्म में पूर्व मंत्री बालासाहब थोरात के गटनेता पद की जवाबदारी थी. जिसे अब वडेट्टीवार के जिम्मे सौंप दिया गया है. जिसके चलते वडेट्टीवार का पार्टी में वजन बढ गया है.
* 9 विधायकों के चलते विदर्भ को झुकता माप
बता दें कि, कांग्रेस के राज्य में केवल 16 विधायक ही निर्वाचित हुए है. जिसमें से 9 विधायक विदर्भ क्षेत्र में है. कांग्रेस के बिखराव वाले दौर में भी विधानसभा चुनाव दौरान विदर्भ में कांग्रेस को संभालने का काम किया. साथ ही लोकसभा चुनाव में भी विदर्भ ने कांग्रेस का भरपूर साथ दिया. जिसके चलते प्रदेश कांग्रेस ने बदलाव करते समय पार्टी नेतृत्व में विदर्भ को झुकता माप दिया है, ऐसा कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता द्वारा कहा गया है.
* अब सपकाल और वडेट्टीवार की परीक्षा का समय
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई और इस समय केंद्र सहित राज्य में कांग्रेस के पास सत्ता नहीं है. साथ ही कांग्रेस के कई नेताओं महायुति के सामने शरण स्वीकार कर ली है और कई नेता पार्टी बदलने के विचार में है. जिसके चलते कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भी बेचैनी है, ऐसे में आनेवाला दौर सपकाल एवं वडेट्टीवार के लिए हर कदम पर परीक्षा लेनेवाला समय रहेगा, ऐसा राजनीतिक जानकारों का मानना है.