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ओएनजीसी काम पर लगे तो बदल जायेगा विदर्भ का भाग्य

चंद्रपुर और गडचिरोली में मीथेन के भंडार

* सरकारी एजेंसी को ही मिले ‘खजाने’ का काम
चंद्रपुर/ दि.11- जंगल बचाते हुए चंद्रपुर तथा गडचिरोली जिले में कोल बेड मीथेन के भंडार का काम ओएनजीसी को सौंपे जाने से विदर्भ की तकदीर बदली जा सकती है. जानकारों ने सरकार से ओएनजीसी को तत्काल निर्देश दिए जाने की मांग और अपेक्षा व्यक्त की है. सीबीएम जैसे स्वच्छ इंधन से जिले के स्टील प्लांट से प्रदूषण की मात्रा कम की जा सकती है. विशेषज्ञों ने कहा कि 7 वर्ष पूर्व के सर्वे में मीथेन गैस का पता चला था.
* 84 बिलियन क्यूबिक मीटर
केंद्रीय पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने वर्ष 2016-17 में चंद्रपुर और पडोसी गडचिरोली में सर्वेक्षण किया था. जिसमें चंद्रपुर के 331 वर्ग किमी क्षेत्र में 37 बिलियन क्यूबिक मीटर कोलबेड और गडचिरोली के सिरोंचा ब्लॉक में 709 वर्ग किमी क्षेत्र में 47 बिलियन क्यूबिक मीटर मीथेन होने का पता चला था. सरकारी एजेंसी ओएनजीसी ने मीथेन के भंडार को लेकर रूचि दिखाई.
* निजी कंपनियों की बोली
महा रत्न कंपनी द्बारा मीथेन खजाने को लेकर रूचि दिखाने के बावजूद सरकार ने निजी कंपनियों को काम देने का सोचा. उनसे बोली आमंत्रित की. अनेक दौर के बावजूद कोई कंपनी आगे नहीं आयी. सरकार को खरीददार नहीं मिला. 6,7 वर्ष यूं ही बीत गये. मामला ठंडे बस्ते में चला गया.
* घने जंगलों में हैं मीथेन
सरकारी सूत्रों का कहना है कि मीथेन लॉक घने जंगलों में और ऐसे क्षेत्रों में हैं जहां इसे निकालना आसान नहीं है. इसके बाद से जंगल बचाते हुए काम होने की अपेक्षा भी व्यक्त की गई.
* ओएनजीसी करें काम
चंद्रपुर एमआयडीसी असो. के अध्यक्ष मधुसूदन रूंगटा ने कहा कि सरकार को तत्काल कदम उठाना चाहिए. जिले में मौजूद मीथेन निकालने के साथ जंगल बचाने में सरकारी कंपनी अधिक कारगर तथा जवाबदेह साबित होगी. चंद्रपुर की वायु गुणवत्ता संतोषजनक नहीं हैं. कोल बेड मीथेन से जिले के स्टील के नये और पुराने संयंत्रों को कोयले के उपयोग से बचने का सुनहरा अवसर प्राप्त होगा.

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