सरकार ने मनोज जरांगे की कौन-कौन सी मांगों को किया मान्य?
मुंबई/दि.27 – मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे पाटिल के नेतृत्व में लाखो मराठा आंदोलक मुंबई के मुहाने पर पहुंचते ही राज्य सरकार ने एक बडा निर्णय लेते हुए मनोज जरांगे पाटिल की सभी मांगों को मान्य कर लिया. साथ ही आधी रात में ही इससे संबंधित अध्यादेश भी जारी किया. इस अध्यादेश में सगे संबंधियों के मद्दे का भी समावेश किया गया है. जिससे मराठा समाज को काफी बडी सफलता प्राप्त हुई है. जिसे लेकर मनोज जरांगे पाटिल ने कहा कि, चूंकि अब हमारी मांगे मान्य कर ली गई है. ऐसे में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एवं राज्य सरकार के प्रति रहने वाला हमारा विरोध भी खत्म हो गया है.
मराठा आंदोलक मनोज जरांगे पाटिल ने सरकारी दस्तावेजों में कुणबी पंजीयन रहने वाले सभी मराठा परिवारों को कुणबी प्रमाणपत्र दिये जाने की मांग की थी. जिसे स्वीकार कर लिया गया है. राज्यभर में 54 लाख नहीं, बल्कि 57 लाख कुणबी पंजीयन मिले है. जिसमेें से अब तक 37 लाख लोगों को प्रमाणपत्र दिये गये है. इसका डेटा दिये जाने को लेकर रखी गई मांग को लेकर मान्य किया गया है. साथ ही शिंदे समिति को रद्द नहीं करने की मांग स्वीकार करते हुए सरकार ने इस समिति की मुदत को फिलहाल दो माह के लिए समयावृद्धि दी गई है. साथ ही समिति की मुदत को जरुरत पडने पर चरणबद्ध ढंग से और भी आगे बढाये जाने को सरकार ने मंजूरी दी है.
मराठा आंदोलक मनोज जरांगे ने कुणबी संबंधित अभिलेख व साक्ष प्राप्त होने वाले मराठा समाजबंधुओं के सगे संबंधियों को भी कुणबी प्रमाणपत्र दिये जाने की मांग की थी. जिसे राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया है. इसके अलावा महाराष्ट्र में रहने वाले जिन मराठाओं के पास कुणबी संबंधित दस्तावेज नहीं है. उन्हें शपथपत्र भरकर देना है और उस शपथ पत्र के आधार पर उसे कुणबी प्रमाणपत्र दिया जाएगा. यह शपथपत्र 100 रुपए के शुल्क की बजाय शुरु तरह से नि:शुल्क दिये जाने की बात राज्य सरकार द्वारा मान्य की गई. इसके साथ ही अंतरवाली सराटी सहित राज्य में मराठा आंदोलकों पर दर्ज सभी अपराधिक मामलों को पीछे लिये जाने से संबंधित मांग को भी राज्य सरकार द्वारा स्वीकार कर लिया गया है.
इसके साथ ही मनोज जरांगे ने यह मांग भी रखी थी कि, मराठा समाज को आरक्षण मिलने तक सरकारी पदभर्ती न की जाये तथा अगर भर्ती की जाती है, तो मराठा समाज के लिए सीटे आरक्षित रखी जाए. सरकार ने इस मांग को भी स्वीकार कर लिया है. इसके साथ ही क्यूरेटीव प्रीटिशन का विषय सर्वोच्च न्यायालय में है. जिसके जरिए आरक्षण मिलने तक मराठा समाज के सभी लोगों को शिक्षा 100 फीसद नि:शुल्क की जाये. इस मांग को भी राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया है.