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अंग्रेजी से नजदिकी और हिंदी से दूरी क्यों?

सीएम फडणवीस ने पूछा सवाल

पुणे/दि.21 – राज्य में मराठी भाषा की अनिवार्यता है और हिंदी भाषा को लेकर कोई सख्ती नहीं है. हिंदी का कहीं पर कोई अतिक्रमण भी नहीं है. साथ ही अब हिंदी भाषा को अन्य पर्यायी भाषा के तौर पर लेने का अवसर उपलब्ध रहेगा. परंतु कुछ लोगों द्वारा इसका भी विरोध किया जा रहा है. ऐसे लोग अंग्रेजी भाषा का तो गुणगान करते है, लेकिन भारतीय रहनेवाली हिंदी भाषा का विरोध करते है. जिसे लेकर आश्चर्य जताया जा सकता है, इस आशय का प्रतिपादन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा किया गया.
भाषा को लेकर चल रहे विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सीएम फडणवीस ने कहा कि, उन्होंने भाषा सलाहकार समिति के अध्यक्ष द्वारा दिए गए पत्र को नहीं पढा है. परंतु मराठी की बजाए हिंदी भाषा को अनिवार्य नहीं किया गया है, बल्कि मराठी भाषा ही अनिवार्य है और नई शिक्षा नीति में तीन भाषाएं सीखने का अवसर प्रदान करते हुए, तीन भाषाएं सीखना अनिवार्य किया गया है. जिसमें दो भाषाएं भारतीय ही होनी चाहिए, ऐसा नियम है. ऐसे में मातृभाषा मराठी को अनिवार्य किया गया है और दूसरी पर्यायी भाषा के तौर पर हिंदी, गुजराती, सिंधी, मल्यालम, तेलगू, तमील व कन्नड जैसी कोई भारतीय भाषा ही लेनी होगी. जिसके चलते मंत्री की अध्यक्षता वाली समिति को रिपोर्ट भी सौंप दी गई है.
सीएम फडणवीस ने यह भी कहा कि, तृतीय भाषा के तौर पर हिंदी रखने पर उसे पढाने हेतु हमारे पास शिक्षक उपलब्ध है. हालांकि इसके बावजूद हिंदी के अलावा कोई भी अन्य भाषा चुनने का पर्याय दिया जाएगा. अत: हिंदी का कोई अतिक्रमण नहीं है. बल्कि यदि किसी को हिंदी के अलावा अन्य कोई भाषा पढनी है तो हम उसकी सुविधा भी देंगे. इसके लिए कम से कम 20 विद्यार्थी रहने पर स्वतंत्र शिक्षक की व्यवस्था की जाएगी और इससे कम विद्यार्थी संख्या रहने पर ऑनलाइन पद्धति से पढाने पर विचार किया जाएगा.

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