नागपुर/दि.7 – मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने विदर्भ विकास बोर्ड को समयावृद्धि देने के बारे में महीनेभर में निर्णय करने के निर्देश केंद्र शासन को दिये हैं. यह भी कहा कि, यह आखरी मौका सरकार को दिया जा रहा है. इसके बाद न्यायालय निर्णय दे देगा. न्या. नितिन सांभरे व न्या. अभय मंत्री की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई दौरान उक्त निर्देश दिये जाने का समाचार है.
इस बारे में विदर्भ विकास बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य रहे डॉ. कपील चंद्रायन और स्वतंत्र राज्य के समर्थक नितिन रोंघे ने जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने कहा कि, बोर्ड की समयावधि दो साल पहले ही पूर्ण हो गई. फिर बोर्ड को समयवृद्धि नहीं देने से काफी काम अटका पडा है. राज्य सरकार ने केंद्र के पास 2022 में प्रस्ताव भेजा था. उस पर निर्णय नहीं हो पाया है. जबकि कई बार स्मरणपत्र भी दिये गये है. तब न्यायालय ने केंद्र को भूमिका स्पष्ट करने अंतिम अवसर दिये जाने की बात कही.
उल्लेखनीय है कि, परीच्छेद 371 (2) अनुसार विकास बोर्ड को मुदत बढाने का अधिकार राष्ट्रपति को है. राष्ट्रपति की अनुमति से ही 1994 में विदर्भ, मराठावाडा और शेष महाराष्ट्र विकास बोर्ड स्थापित हुए थे. फिर समय-समय पर बोर्ड को समयावृद्धि दी गई. पिछली समयावृद्धि को 4 वर्ष बीत गये है. जिसके कारण अभी विकास बोर्ड अस्तित्व में नहीं है. कोर्ट में याचिकाकर्ता की तरफ से एड. फिरदौस मिर्जा ने पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि, विदर्भ की प्रगती के लिए विकास बोर्ड आवश्यक है.