* सक्षम न्यायाधिशों की निर्मिति का लक्ष्य
वर्धा/दि.20– महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 की अपेक्षाओं के अनुरूप मातृभाषा में पठन-पाठन की भावना को बलवती करते हुए प्रथमतः हिंदी तथा आगामी वर्षों में संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित अन्य भारतीय भाषाओं में विधि शिक्षा प्रदान करने का एक अंतराष्ट्रीय केंद्र स्थापित करने का संकल्प किया है. वकालत की कला में दक्ष अधिवक्ता तथा न्याय प्रदान करने में सक्षम न्यायाधीश का निर्माण करना इस केंद्र का कार्य होगा.
विदित है कि इस वृहद लक्ष्य को अभि लक्ष्य कर महात्मा गांधी अन्तराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय ने सत्र 2021-2022 से हिन्दी भाषा में बी.ए.एल.एल.बी (आनर्स) कार्यक्रम का शुभारंभ किया है. आने वाले वर्षों में बार कौंसिल आफ इण्डिया की अनुमति से विश्वविद्यालय अन्य भारतीय भाषाओं में विधि शिक्षा प्रदान करने पर गम्भीरतापूर्वक प्रयत्न कर रहा है. प्रारंभ में मराठी, गुजराती, तेलुगू और बांगला भाषा में बी.ए.एलएल.बी. (आनर्स) कार्यक्रम प्रारम्भ करने की विश्वविद्यालय की योजना है.
विश्वविद्यालय के विधी विद्यापीठ के अंतर्गत इस पाठ्यक्रम को संचालित किया जा रहा है. विधिक शिक्षा को न्याय शिक्षा के रुप में विकसित किया जाय जिससे सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक परिवर्तन का संवैधानिक संकल्प सिद्ध किया जा सके. विधिक व्यवस्था में ऐसे घटकों का अवदान करें, जो राष्ट्र और समाज में न्याय, स्वतंत्रता और बन्धुत्व के संवैधानिक लक्ष्य को प्राप्त करने में अपना अवदान प्रस्तुत कर सकें. विश्वविद्यालय अधिवक्ता के कलेवर में समाज के समक्ष न्याय प्रदाता अभिकर्ता के रुप में अपने स्नातकों को प्रस्तुत करने के लिये प्रतिबद्ध है. विधि विद्यापीठ के महत्वपूर्ण उद्देश्यों में क्षेत्रीय, राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी में विधिक शिक्षा का संचालन करना शामिल हैं. समस्त विधिक प्रक्रिया का अन्तिम लक्ष्य है न्याय अवदान, जिसमें न्यायालय के साथ-साथ अधिवक्ताओं की भूमिका महत्त्वपूर्ण है. लेकिन इससे भी महत्त्वपूर्ण है न्याय प्राप्तकर्ता की संतुष्टि और यह तभी संभव है जब उसे न्याय उसकी भाषा में प्रदान किया जाए.
न्याय अवदान प्रणाली जब तक अबूझ भाषा में कार्य कर रही है तब तक न्याय प्राप्तकर्ता निर्णय तो प्राप्त कर लेता है लेकिन भाषा की सम्यक समझ न होने के कारण अपने को न्याय से वंचित महसूस करता है. ऐसी स्थिति में आवश्यक है कि न्याय अवदान प्रणाली को स्वीकार्य बनाने के लिये इसे राजभाषा हिन्दी के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं में प्रदान किया जाए. इस सर्वजन स्वीकार्य लक्ष्य की प्राप्ति हेतु सबसे पहली आवश्यकता है कि ऐसे अधिवक्ता एवं न्यायाधीशगण निर्मित किये जायें जो हिन्दी सहित भारतीय भाषाओं में दक्ष हों. विश्वविद्यालय ने राजभाषा हिन्दी सहित भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित समस्त भारतीय भाषाओं में विधिक शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से सत्र 2021-2022 से बी.ए.एलएल.बी. (आनर्स) (पंचवर्षीय विधि) कार्यक्रम प्रारम्भ किया है.
उच्च शिक्षा के विभिन्न कार्यक्रमों- स्नातक, स्नातकोत्तर और शोध कार्यक्रमों- में प्रवेश हेतु कॉमन प्रवेश परीक्षा के अंतर्गत अकादमिक सत्र 2022 से कॉमन विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (Common University Entrance Test- CUET) का आयोजन राष्ट्रीय टेस्टिंग एजेंसी (NT-) द्वारा किया जा रहा है, जिसमें भारत के अधिकतर केंद्रीय एवं राज्य विश्वविद्यालय शामिल हैं. इसका ध्येय उच्च शिक्षा हेतु सभी को समान अवसर देना और उससे भी अधिक अपनी मातृभाषा में उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान करना है. इसके लिए विश्वविद्यालयों के विभिन्न कार्यक्रमों में प्रवेश हेतु प्रवेश परीक्षा कुल 60 विषयों के लिए 13 भाषाओं में आयोजित की जा रही है. स्नातक कार्यक्रम के इन विषयों में 33 भाषा संबंधी विषय और 27 भाषेतर विषय शामिल हैं.
इस प्रवेश परीक्षा में विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा संचालित विभिन्न विषयों में स्नातक कार्यक्रम के साथ महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा द्वारा संचालित स्नातक कार्यक्रम के कुल 37 विषय शामिल हैं, प्रवेश परीक्षा में शामिल होकर अभ्यर्थी स्नातक कार्यक्रम में प्रवेश प्राप्त कर सकते हैं. सूचनीय है कि महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने वाले विश्वविद्यालयों में अग्रणी है. प्रवेश परीक्षा में शामिल होने वाले छात्र 9 परीक्षणों (अधिकतम तीन भाषा भाषा संबंधी विषय और छह विषय विशेष या भाषेतर विषय के परीक्षणों) में शामिल हो सकते हैं. प्रवेश परीक्षा के उपरांत छढ- छात्रों को स्कोरकार्ड जारी करेगी, जिसके आधार पर छात्रों को आवेदन करते समय चयन किए गए विश्वविद्यालय में परीक्षण में प्राप्त अंकों के आधार पर प्रवेश प्राप्त कर सकते हैं.