महिलाओं ने अमृता फडणवीस को मानना चाहिए रोल मॉडल
मराठा सेवा संघ के संस्थापक पुरुषोत्तम खेडेकर ने दी सलाह
बुलढाणा/दि.25 – महिलाएं जिस तरह से अपने रसोई घर में हर दिन कोई ना कोई बदलाव करती है, उतना ही बदलाव व्यक्तिगत व पारिवारिक जीवन में भी यदि किया जाये, तो समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाया जा सकता है. साथ ही बदलाव यह महिलाओं का स्वाभाविक गुण भी है और यदि महिलाएं अपने मन में ठान ले, तो समाज में हर तरह का बदलाव लाया जा सकता है. इसके लिए महिलाओं ने अमृता फडणवीस को अपना रोल मॉडल मानना चाहिए. क्योंकि जिस तरह का स्त्रीवाद अमृता फडणवीस द्वारा जिया जा रहा है, हमें वही स्त्रीवाद महिलाओं के लिए अपेक्षित है. इस आशय का प्रतिपादन मराठा सेवा संघ के संस्थापक अध्यक्ष व बुलढाणा जिला साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष पुरुषोत्तम खेडकर द्वारा किया गया है.
बुलढाणा के जिजामाता महाविद्यालय की ताराबाई शिंदे साहित्य नगरी में आयोजित जिला साहित्य सम्मेलन में उपरोक्त विचार व्यक्त करते हुए पुरुषोत्तम खेडकर ने कहा कि, ब्राह्मण समाज की महिलाओं ने अन्याय व अत्याचार के खिलाफ काफी पहले ही आवाज उठाई थी और वे देखते ही देखते पुरुषों की बराबरी करने लगी. आज के दौर में देवेंद्र फडणवीस का जितना कद है, उतना ही कद उनकी पत्नी अमृता फडणवीस का भी है. यहां तक कि, यदि देवेंद्र फडणवीस को दाढी-कटींग करने के लिए जाना है, तो भी वे अपनी पत्नी अमृता फडणवीस से पूछकर ही जाते है. इसके साथ ही पुरुषोत्तम खेडकर ने यह भी कहा कि, महिलाएं हर दिन अपने रसाईघर के व्यंजनों में बदलाव करती है और रोजाना माथे पर अलग-अलग तरह की टिकली व बिंदी भी लगाई है. गनिमत है कि, पति बदलने में काफी दिक्कतें है. अन्यथा महिलाओं ने अपने लिए पति को भी बदल दिया होता. जिसका सीधा मतलब यह है कि, यदि महिलाएं अपने मन में ठान ले, तो वे किसी भी उंचाई तक पहुंच सकते है. अत: दुनिया में बदलाव लाने के लिए सबसे पहले अपने और अपने परिवार मेें बदलाव लाने की शुरुआत की जानी चाहिए.