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मराठा आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट याचिका

याचिका में सरकार पर लगाये गये गंभीर आरोप

मुंबई /दि.1- राज्य सरकार की ओर से मराठा समाज को दिये गये 10 फीसद आरक्षण का मामला अब हाईकोर्ट में पहुंच गया है. जहां पर डॉ. जयश्री पाटिल की ओर से एड. गुणरत्न सदावर्ते ने मुंबई उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की है और इस याचिका में राज्य सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाये गये है. जिसके चलते अब मराठा आरक्षण के एक बार फिर कानूनी दावपेच में फंसने की पूरी संभावना जतायी जा रही है.
इस याचिका में कहा गया है कि, राज्य सरकार द्वारा पिछडावर्गीय आयोग के अध्यक्ष पद पर सेवा निवृत्त न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे की नियुक्ति करना पूरी तरह से गलत था. साथ ही सेवा निवृत्त न्यायमूर्ति दिलीप भोसले को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति से भी अधिक मानधन दिया गया. जो कि पूरी तरह से गलत फैसला था. इसके साथ ही इस याचिका में यह भी कहा गया है कि, मराठा समाज बिल्कुल भी पिछडा नहीं है और मराठा समाज को आरक्षण की कोई जरुरत भी नहीं है. अत: राज्य सरकार द्वारा मराठा समाज को दिये गये 10 फीसद आरक्षण को खारिज किया जाये.
बता दें कि, विगत कुछ दिन पूर्व मराठा आरक्षण आंदोलक मनोज जरांगे पाटिल के आंदोलन के बाद राज्य सरकार ने विधान मंडल का विशेष अधिवेशन बुलाकर मराठा समाज को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया. इस विशेष अधिवेशन में मराठा आरक्षण मंजूर होने के बाद इसका अमल राज्य में 26 फरवरी से शुरु हुआ है. इस संबंध में शासन निर्णय के साथ राजपत्र जारी किया गया है. लेकिन, अब इस फैसले के खिलाफ मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है.

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