लाइसेंस रहने पर छोटे ट्रक चला सकते हैं
सर्वोच्च न्यायालय का बडा निर्णय
* संविधान पीठ के फैसले से अनेक को होगा लाभ
दिल्ली/दि. 6 – उच्चतम न्यायालय ने एक दूरगामी परिणामों वाला बडा फैसला किया है. जिसके अनुसार लाइट मोटर वेहीकल चलाने का लाइसेंस रहने पर वाहन चालक को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. दुर्घटना के अन्य कारण भी होते हैं. 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने यह निर्णय दिया है. जिसके अनुसार एलएमवी परवाना धारक 7.5 टन माल ले जानेवाले हलके ट्रांसपोर्ट वाहन चला सकते हैं. इस संविधान पीठ में प्रधान न्यायाधीश डी. वाय. चंद्रचूड, जस्टीस ऋषिकेश रॉय, जस्टीस पी. एस. नरसिम्हा, जस्टीस पंकज मिथल और जस्टीस मनोज मिश्रा शामिल थे.
संविधान पीठ ने अपना 2017 का निर्णय कायम रखा. जिसमें एमएमवी परवाना धारक को 7 टन माल ले जानेवाले परिवहन वाहन चलाने की अनुमति ली गई थी. जिससे हलके वाहनों को चलाने का लाइसेंस रहनेवाले लोगों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बडी राहत मिली है.
बीमा कंपनियां भी अब ऐसे परवाना धारक के किसी हादसे का क्लेम नकार नहीं सकेगी. सर्वोच्च न्यायालय ने एलएमवी परवाना धारक को 7 टन कमर्शियल वाहन चलाने का अधिकार है या नहीं इस विषय पर सुनवाई पश्चात गत 21 अगस्त को अपना निर्णय सुरक्षित रखा था.
कोर्ट ने फैसले में कहा कि, सडक सुरक्षा वैश्विक स्तर की बडी समस्या ैहै. भारत में सडक दुर्घटनाओं के कारण 2023 में 1.7 लाख लोगों की जान चली गई. किंतु इस बारे में सभी हलके वाहन चालकों के कारण हादसे हुए, यह कहना निराधार होगा. वाहन चलाने के लिए विशेष कौशल की आवश्यकता होती है. सडकों के हादसों से दूर रहने सावधानी बरती जाना आवश्यक है.