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1.85 लाख विद्यार्थियों पर शालाबाह्य होने का संकट

समूह शाला के निर्णय पर शिक्षा विशेषज्ञों की नाराजगी

नागपुर/दि.28- 20 से कम पटसंख्या की शालाओं का एकत्रिकरण कर समूह शाला (क्लस्टर) निर्माण की साजिश राज्य सरकार ने शुरु की है. इस कारण बहुल इलाकों की कम पटसंख्या वाली 14 हजार 783 शाला बंद होने की संभावना है. यहां करीबन 1 लाख 85 हजार विद्यार्थियों पर शालाबाह्य होने का संकट आने की संभावना है. इस पर शिक्षण क्षेत्र ने नाराजगी व्यक्त की है. शासकीय शाला बंद करने की यह साजिश रहने का आरोप भी विरोधियों ने किया है.
बहुल इलाकों में रहने वाले विद्यार्थियों तक शिक्षा की गंगा पहुंचाने के लिए शासन ने अनेक छोटी-छोटी शालाएं शुरु की. 2021-22 की आंकडेवारी के मुताबिक 20 से कम पटसंख्या की शालाओं में 14 हजार 783 शालाओं में 1 लाख 85 हजार विद्यार्थी और 29 हजार 707 शिक्षक है. विद्यार्थियों का सामाजिकरण, खेल वृत्ति, विविध स्पर्धा व सुविधा की उपलब्धता के कारण देते हुए 20 से कम पटसंख्या वाली शाला परिसर की बडी शालाओं से जोडने का निर्णय लिया गया है. शासन के इस निर्णय के कारण विद्यार्थियों के शिक्षण में दुविधा निर्माण होने का भय शिक्षा विशेषज्ञों ने व्यक्त किया है. जबकि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने भी जिला परिषद की शाला बंद की तो देख लेने की चेतावनी दी है. शिक्षण हक कानून के मुताबिक पाल्योंं को घर के निकट शिक्षा उपलब्ध कर देना यह सरकार का कर्तव्य है. सरकार का यह निर्णय बहुजन समाज के युवकों को शिक्षा से वंचित रखने वाला है ऐसा भी पटोले ने कहा.
* भर्ती न होने से शिक्षक की कमी
पिछले 10 सालों से शिक्षक भर्ती न होने से अनेक शालाओं में शिक्षकों की संख्या कम है. इसका परिणाम पटसंख्या कम होने पर हुआ है. एक तरफ है उन शालाओं को सुविधा नहीं देना और दूसरी तरफ सुविधायुक्त समूह शाला की निर्मिती की संकल्पना रखना यह बात परस्पर विरोधी है.
– लीलाधर ठाकरे,
जिलाध्यक्ष राज्य प्राथमिक शिक्षक समिति
* आपत्ति क्या?
बहुल गांवों और कस्बों के गरीब विद्यार्थियों को अन्य गांव में जाने के लिए आवश्यक सफर के साधन उपलब्ध नहीं है. अनेकों के घर में शिक्षण के लिए कोई ज्यादा पूरक वातावरण न रहने से बेवजह उन्हें लंबी दूरी पर भेजने का साहस पालक नहीं करेंगे. पहली, दूसरी के नन्हें बालक लंबी दूरी पर रही शाला में कैसे जा सकेंगे इसका विचार नहीं किया गया. अन्य गांव और सफर के दौरान नन्हें विद्यार्थियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा इस बात का भी जवाब नहीं है.

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