प्रतिनिधि/दि.२९
अमरावती-देश का सबसे बडे व्याघ्र प्रकल्प मेलघाट टाईगर प्रोजेक्ट विगत ४५ वर्षों से बाघों के संरक्षण व संवर्धन में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. इस समय मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में २१ मादा व २९ नर ऐसे कुल ५० बाघ है. वहीं यहां पर २२ बाघ शावक भी है. जिसके चलते १०० बाघों को संभालने की क्षमता रखनेवाले मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प को बाघों के सबसे बेहतरीन अधिवास के रूप में पहचान हासिल हुई है और क्षेत्रफल के लिहाज से देश का यह सबसे बडा व्याघ्र प्रकल्प बाघों के संरक्षण व संवर्धन के काम में सबसे अव्वल स्थान पर है. ४५ वर्ष पूर्व २२ फरवरी १९७४ को अस्तित्व में आया यह व्याघ्र प्रकल्प देश के पहले ९ व्याघ्र प्रकल्पों में से एक तथा राज्य का सबसे पहला व्याघ्र प्रकल्प है. २७०० चौरस किमी के क्षेत्रफलवाले इस व्याघ्र प्रकल्प में ३६१.२८ चौरस किमी वाले गूगामल राष्ट्रीय उद्यान का भी समावेश है. एक बाघ को साधारणत: २५ चौरस मीटर किमी का क्षेत्रफल की जरूरत पडती है. इस लिहाज से मेलघाट में १०० से अधिक बाघों का अधिवास रह सकता है. वहीं इस समय मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में ७२ छोटे-बडे बाघ विचरण कर रहे है. मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के जंगल और यहां के व्यवस्थापन को सर्वोत्कृष्ट माना गया है और इसे देश की ‘टॉप टेन‘ सूची में स्थान प्राप्त हुआ है. साथ ही एनटीसी की मूल्यमापन समिती में भी मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प को ‘व्हेरी गूड‘ की श्रेणी में रखा है. बदलते हालात के चलते मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में व्यवस्थापन व उपाय योजनाएं भी बदल रही है और बाघों सहित उनके नैसर्गिक अधिवास को कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए बेहद परिणामकारक उपाय योजनाएं चलायी जा रही है. जिसके चलते व्याघ्र संवर्धन व संरक्षण को लेकर मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प का सफर जारी है. साथ ही मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में चोरी-छिपे तरीके से किये जानेवाले बाघों के शिकार तथा बाघों के अधिवास क्षेत्र पर होनेवाले इंसानी अतिक्रमण को रोकने के लिए भी सफलतापूर्वक काम किया जा रहा है.
१६ गांवों का पुनर्वसन मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प द्वारा १६ गांवों का पुनर्वसन करते हुए इन गांवों को व्याघ्र प्रकल्प से बाहर ले जाया गया है. इस जरिये बाघों के अधिवास क्षेत्र में इंसानों की आवाजाही को नियंत्रित किया जा सका है. इसके साथ ही अब जंगल पूरी तरह से निर्मनुष्य रहने की वजह से यहां पर अच्छीखासी घासफुस उग आयी है और जंगल में हिरन, चितल सहित अन्य वन्यजीवों की संख्या बढ गयी है. जिसके चलते बाघों के लिये मानव विरहित अधिवास क्षेत्र सहित भरपूर खाद्य भी उपलब्ध है.
मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में वनपाल व वनरक्षकों की रोजाना पैदल गश्त लगायी जाती है, जो काफी महत्वपूर्ण साबित हुई है. करीब ६०० वनरक्षकों द्वारा गश्त के दौरान जीपीएस रिडींग सहित ऑनलाईन कंट्रोलिंग की जाती है. व्याघ्र प्रकल्प अंतर्गत ट्रैप कैमरों के जरिये बाघों सहित अन्य वन्य जीवों की हलचलों पर ध्यान रखा जाता है. जिसके चलते बाघों को लेकर सटीक जानकारी प्राप्त होती है. इसके साथ ही हर एक बाघ की पहचान हासिल करने में इन ट्रैप कैमरों की भुमिका काफी महत्वपूर्ण साबित हुई है,क्योकी अब यह बडी आसानी से पता लगाया जा सकता है कि, किस बाघ द्वारा किस जानवर का शिकार किया गया तथा कौनसा बाघ शिकारी का निशाना बना. इस समय मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में करीब ६०० ट्रैप कैमेरे लगे हुए है. जिनकी सहायता से बाघों के संरक्षण, संवर्धन व अचूक गणना करना संभव हुआ है. इन ट्रैप कैमरों के जरिये ही बाघों की निश्चित संख्या पता करने के साथ ही नर व मादा बाघों के साथ ही शावकोें की पहचान करना भी संभव हो पाया है.
मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प अंतर्गत वर्ष २०१३ में वाईल्ड लाईफ एन्ड सायबर सेल की स्थापना की गई. यह समूचे देश में अपनी तरह का पहला साईबर सेल है. जिसके जरिये चोरी-छिपे तरीके से होनेवाले बाघों के शिकार पर नियंत्रण रखा जाता है. राष्ट्रीय स्तर पर करीब १५० से अधिक शिकारियों व वन्यजीव तस्करों को पकडने में साईबर सेल को सफलता मिली तथा राष्ट्रीय स्तर पर सभी राज्योें में व्याघ्र संरक्षण व संवर्धन के कार्य में साईबर सेल द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभायी जा रही है. संबंधित राज्यों की मांग पर साईबर सेल द्वारा अपनी सेवाएं उपलब्ध करायी जाती है और मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प अंतर्गत शिकारियों व वन्यजीव तस्करों के खिलाफ इस सेल ने जबर्दस्त काम किया है.
राज्य में ३१२ व देश में २९५७ बाघ – मध्य प्रदेश व आंध्र में संख्या बढी – छत्तीसगढ, झारखंड व उडीसा में कम हुए बाघ विश्व बाघ दिवस के उपलक्ष्य में केंद्रीय पर्यावरण तथा वन्यजीव मंत्रालय की ओर से देश में बाघों की संख्या को लेकर एक रिपोर्ट जारी की गई है. जिसके मूताबिक इस समय महाराष्ट्र में ३१२ तथा देश में २९५७ बाघ है. साथ ही गतवर्ष की तुलना में इस वर्ष महाराष्ट्र सहित मध्यप्रदेश व आंध्रप्रदेश में बाघों की संख्या बढी है, वहीं छत्तीसगढ, झारखंड व उडीसा में यह संख्या घटी है. उल्लेखनीय है कि, भारत में दूनिया की केवल ८ प्रतिशत बायोडायव्र्हसिटी है, जबकि यहां पर दूनिया की तुलना में ७० प्रतिशत बाघ है.
महाराष्ट्र में बाघों की स्थिति वर्ष बाघों की संख्या
वर्ष बाघों की संख्या
२००६ १०३
२०१० १६८
२०१४ १९०
२०१८ ३१२
कहां कितने बाघ
मेलघाट-४९
नवेगांव-०६
पेंच-८२
ताडोबा-१०६
सह्याद्री-०३