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7 वर्षीय प्रज्ञान की समयसुचकता से बची पिता और दो बहनों की जान

हादसे का शिकार होकर तीन पलटियां खाते हुए खेत में घुस गई थी कार

* दुर्घटनाग्रस्त कार से जैसे-तैसे बाहर निकलकर 7 वर्षीय प्रज्ञान ने हासिल की सहायता
नागपुर/दि.2– सुबह के वक्त घुमावदार रास्ते पर एक तेजरफ्तार कार अनियंत्रित होकर तीन पलटियां खाते हुए रास्ते से नीचे उतरकर एक खेत में जा घुसी. उस समय सडक पर कोई भीडभाड नहीं थी. वहीं कार चला रहे राजेंद्र वाघमारे सिरपर चोट लगने की वजह से बेहोश हो गए थे और कार में सवार उनकी एक बेटी व एक भतीजी भी चोटील हो गई थी. ऐसे समय कार में पूरी तरह से सुरक्षित रहनेवाला राजेंद्र वाघमारे का 7 वर्षीय बेटा प्रज्ञान वाघमारे अपने पिता का मोबाईल फोन लेकर जैसे-तैसे कार से निकलकर बाहर आया और सडक पर आने के बाद लोगों से सहायता की गुहार लगाने लगा. प्रज्ञान द्वारा दिखाई गई यह समयसुचकता काम आई और धीरे-धीरे घटनास्थल पर लोग इकठ्ठा होने शुरु हो गए. जिसमें से एक व्यक्ति के पास प्रज्ञान ने अपने पिता का फोन देते हुए अपने बडे चाचा को कॉल करने हेतु कहा. इसी दौरान मौके पर इकठ्ठा हुए लोगों ने एक एम्बुलेंस वाहन को रुकवाकर हादसे में घायल राजेंद्र वाघमारे व दोनों बच्चियों को तुरंत ही अस्पताल पहुंचाया. इसके चलते तुरंत इलाज शुरु करते हुए इन तीनो की जान बचाई जा सकी.

यह घटना विगत 22 अप्रैल को कुही मार्ग स्थित लांजला गांव के मोड पर घटित हुई. जब दिघोरी गांव में रहनेवाले इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के दुकानदार राजेंद्र वाघमारे अपनी टाटा सफारी कार से कुही गांव में रहनेवाले एक ग्राहक के यहां टीवी और होमथिएटर की डिलेवरी देने हेतु सुबह के वक्त दिघोरी गांव से निकले थे. इस समय घर में मौजूद बच्चो ने भी साथ चलने की जिद की. चूंकि कुही गांव में वाघमारे परिवार के रिश्तेदार भी रहते है. ऐसे में काम के साथ-साथ रिश्तेदार के यहां जाकर भी मुलाकात करने की दृष्टि से राजेंद्र वाघमारे ने अपने बेटे प्रज्ञान, बेटी महक व भतीजी उन्नती को भी कार में साथ ले लिया.

दिघोरी गांव से निकलने के बाद जब यह सभी लोग अपनी कार के जरिए डोंगरगांव पार करते हुए लांजला गांव के आसपास पहुंचे तभी वाहन चला रहे राजेंद्र वाघमारे को अचानक चक्कर आने जैसा महसूस हुआ. जिसके बाद सामने ही रहनेवाले घुमावदार रास्ते पर उनका अपने वाहन से नियंत्रण छुट गया और उनका वाहन अनियंत्रित होकर तीन पलटियां खाते हुए रास्ते के किनारे खेत में बने गढ्ढे में जा गिरा. क्योंकि इस समय सुबह का वक्त था और रास्ते से लोगों की आवाजाही बेहद कम थी. जिसके चलते किसी को भी यह हादसा होता दिखाई नहीं दिया और सडक किनारे खेत में जाकर गिरे वाहन की ओर भी किसी का ध्यान नहीं गया. इसमें भी राजेंद्र वाघमारे के सिर में चोट लगने की वजह से वे बेहोश हो गए थे. वहीं वाहन में सवार दोनों बच्चियां भी अत्यवस्थ हो गई थी. ऐसी भीषण स्थिति के दौरान पूरी तरह से होश में रहनेवाले 7 वर्षीय प्रज्ञान ने विना डरे व घबराए शानदार तरीके से समयसुचकता दिखाई और वह अपने पिता का मोबाईल लेकर जैसे-तैसे वाहन का दरवाजा खोलकर बाहर निकला. साथ ही सडक पर आकर लोगों को यह कहते हुए रुकाने लगा कि, उसके पप्पा का एक्सीडेंट हुआ है. अत: मदद की जाए. सडक किनारे एक छोटे बच्चे को सहायता के लिए गुहार लगाता देख वहां से गुजरनेवाले कई लोगबाग रुक गए और जैसे ही उन्हें पूरा माजरा समझ में आया तो उन्होंने दुर्घटनाग्रस्त वाहन की ओर दौड लगाते हुए वाहन में फंसे तीनों लोगों को बाहर निकाला.

सौभाग्य से इसी समय कुही से नागपुर की ओर जा रही एक एम्बुलेंस मौके पर पहुंची और एम्बुलेंस चालक भी भीडभाड देखकर रुक गया. पश्चात प्रज्ञान सहित उसके पिता व दोनों बहनों को एम्बुलेंस वाहन में बिठाते हुए नागपुर रवाना किया गया. जहां तीनो घायलो को अस्पताल में भर्ती कराया गया.

* अन्यथा हो सकता था अनर्थ
यदि हादसे के बाद समयसुचकता दिखाने की बजाए महज 7 वर्ष की आयुवाला प्रज्ञान वाघमारे हादसे की वजह से डरकर और घबराकर मौके पर ही रोते हुए बैठा रहा होता और अगर सहायता मिलने में विलंब हुआ होता तो शायद कुछ अनर्थ घटित हो सकता था. लेकिन प्रज्ञान बिन डरे व घबराए समयसुचकता दिखाई. जिसकी वजह से उसके पिता व दोनो बहनो की जान बच गई. ऐसे में इतनी कम उम्र में काफी बडी समझदारी दिखानेवाले प्रज्ञान की सर्वत्र प्रशंसा हो रही है.

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