* सामान्य की बजाए सिझेरियन प्रसूती का प्रमाण अधिक
अमरावती/दि. 14– जिला स्त्री अस्पताल में गत 10 माह में 75 बच्चों की प्रसव दौरान मृत्यु हो जाने की खबर है. 3 गर्भवतियों की भी मृत्यु इस दौरान हो गई है. कई बच्चे पैदा होते ही कुछ मिनटों में स्वर्ग सिधार गए. उसी प्रकार बाल मृत्यु को लेकर अलग-अलग कारण दिए जा रहे हैं. इतना जरुर है कि स्त्री अस्पताल में मानव संसाधन की कमी के कारण भी यह मौते हुई है.
* नहीं है विशेषज्ञ
डफरीन अस्पताल के नाम से प्रसिद्ध महिलाओं के दवाखाने में प्रसूति विशेषज्ञ और बच्चों के विशेषज्ञ चिकित्सक का अभाव है. ठेका पद्धति और नए नियुक्त डॉक्टर्स के भरोसे मरीजों का उपचार चल रहा है. निजी अस्पतालों में अपवाद स्वरुप मां या बच्चे की मृत्यु होती है. वहां विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध हो जाते हैं.
* बालमृत्यु के विविध कारण
बच्चों की मौत को लेकर नाना प्रकार की वजह बताई जा रही है. जिसके अनुसार गर्भावस्था में मां से अर्भक को आवश्यक पोषक घटक नहीं मिलते. मां स्वयं भी बच्चे की ओर ध्यान नहीं देती. अस्पताल जाने में लापरवाही बरती जाती है. लौहयुक्त आहार, विविध रोगप्रतिबंधक इंजेक्श व दवाईयां नहीं ली जाती. समय-समय पर जांच नहीं करवाती. मेलघाट जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाएं अधूरी है. विशेषज्ञ बताते हैं कि माताओं को भरपूर पोषण नहीं मिलने से भी अर्भक के स्वास्थ्य पर विपरित परिणाम होता है.
* क्या कहते हैं अधीक्षक
डफरीन के अधीक्षक डॉ. विनोद पवार ने बताया कि गंभीर मरीज को रेफर सेंटर के रुप में डफरीन भेज दिया जाता है. उसका परिणाम होता है. हमारे पास पर्यायी व्यवस्था है. उसमें भी खामिया है उसे दूर करने का प्रयत्न हो रहा है.
* 3614 सिझेरियन
डफरीन में 10 माह में 6 हजार से अधिक प्रसूति हुई. जिसमें 3029 सामान्य प्रसूति रही. वहीं 3614 प्रसूति सी सेक्शन अर्थात सिझेरियन से की गई. इस दौरान 75 नवजात शिशु चल बसे. पिछले वर्ष इसी अवधि में 2324 सिझेरियन किए गए थे. इस बार आंकडा बढ गया है.