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राज्य के कारागार में 79 प्रतिशत न्यायाधीन कैदी

सरकार पर बढ रहा आर्थिक बोझ

नागपुर/दि.21-राज्य के कारागार में क्षमता से अधिक कैदी रखे गए है. इसमें करीब 79 प्रतिशत न्यायाधीन कैदी है. इन कैदियों के खिलाफ मामले विविध न्यायालय में लंबित है. शेष 21 प्रतिशत कैदी दोषी पाए जाने से सजा काट रहे है. ठाणे और येरवडा कारागार में सर्वाधिक न्यायाधीन कैदी है. इन कैदियों में मुंबई तीसरे तथा नागपुर कारागार 6 वें स्थान पर है. न्यायाधीन कैदियों की बडी संख्या के कारण सरकार पर आर्थिक बोझ बढ रहा है.
राज्य में 60 कारागार होकर इसमें करीब 40 हजार 900 से अधिक कैदी है. इसमें न्यायालय ने सजा सुनाने वाले 7 हजार 700 कैदी है. जिसमें 7 हजार 70 पुरुष तथा 245 महिला है. इसके अलावा करीब 33 हजार 300 से अधिक न्यायाधीन कैदी है. इनमें 31 हजार 700 पुरुष तो 1342 महिला है. इन कैदियों के साथ साथ 15 तृतीयपंथी भी न्यायाधीन कैदी के रूप में बंदिस्त है.
* सरकार पर आर्थिक बोझ
सजायाफ्ता कैदियों द्वारा कारागार प्रशासन विविध काम करवाता है. उनके अच्छे बर्ताव के कारागार सजा में माफी दी जा सकती है. न्यायाधीन कैदियों के संबंध में इसके विपरित स्थिति है. उनपर सरकार का काफी पैसा खर्च होता है. न्यायाधीन कैदियों के विविध न्यायालय में मामले शुरु रहते है. उन्हें कोर्ट में समय पर हाजिर करना, उनकी सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात करना और पुलिस वाहनों की व्यवस्था करना, आदि कामों का बोझा सरकार को सहना पडता है.

राजय के कारागार में लगभग 79 प्रतिशत न्यायाधीन कैदी है. उन्हें कोई भी शारीरिक काम सौंप नहीं सकते. उन्हें शिक्षा, सजा में सहुलियत आदि सुविधाएं नहीं मिलती. न्यायाधीन कैदियों का प्रमाण दिनोंदिन बढ रहा है.
-डॉ. जालिंदर सुपेकर, विशेष पुलिस महानिरीक्षक,
राज्य कारागार विभाग, पुणे

इन कारागार में सर्वाधिक कैदी
येरवडा            5510
ठाणे                3999
मुंबई               3441
तलोजा            2502
कल्याण          2050
नागपुर           1892

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