नाशिक में भुजबल के नाम पर दिल्ली से शिक्का लगा
मुंबई/दि.01– शिवसेना के विद्यमान सांसद रहे इस स्थान पर भाजपा ने अपना दावा ठोका है. जिसके चलते राष्ट्रवादी के हैवीवेट नेता छगन भुजबल के नाम पर फिलहाल में जोर दिया जा रहा है. भुजबल ने नाशिक जिले का किया कायापलट व विकास के कारण उनकी उम्मीदवारी के लिए दिल्ली दरबार से पसंद आने की चर्चा है.
नाशिक लोकसभा की जगह पर भाजपा व शिवसेना के शिंदे गट में रस्सी खीच शुरू रहने से राष्ट्रवादी के ज्येष्ठ नेता छगन भुजबल ने एंट्री होने से शिवसेना शिंदे गुट के विद्यमान सांसद हेमंत गोडसें की अच्छी खासी भाग-दौड बढा दी है. भुजबल के नाम पर दिल्ली से शिक्का लगान होने की खबर से विद्यमान सांसद हेमंत गोडसे का टेंशन बढ गया है.
नाशिक लोकसभा की सीट पर वर्तमान में शिवसेना शिंदे गुट के पास रहने से विद्यमान सांसद हेमंत गोडसे यह तिसरी बार चुनाव लडने की तैयारी करते हुए हैट्रिक मारने के इच्छुक थे. मगर उनकी हैट्रिक जितनी दिखाई देती है उतनी आसान नहीं है. इसी कारण से शिवसेना के विद्यमान सांसद रहते हुए इस स्थान पर भाजपा ने भी अपना दावा ठोका है. जिसके चलते अब राष्ट्रवादी के हैवीवेट नेता छगन भुजबल का नाम जोर पकड रहा है. कुछ दिनों पूर्व नाशिक लोकसभा के स्थान पर शिंदे गुट व भाजपा में रस्सी खींच शुरू थी. अब इस सीट पर राष्ट्रवादी के अजित पवार गुट ने दावा ठोकने से नाशिक लोकसभा का पेंच और बढ गया है. जिसके कारण नाशिक लोकसभा के स्थान का वितरण में मुद्दा छोडने का मामला महायुती के नेताओं के सामने आकर खडा हो गया है.
* भुजबल की उम्मीदवारी की चर्चा शिंदे के शिवसेना अस्वस्थता, शिवसैनिक नाशिक से मुंबई की दिशा में रवाना
विद्यमान सांसद हेमंत गोडसे लगातार दो लोकसभा में चुन कर आए है. तिसरी बार वे चुनाव के लिए इच्छुक है. वहीं दूसरी ओर भाजपा ने नाशिक जिला से हमारी ताकत शिंदे गुट से ज्यादा रहने से शहर में तीन विधायक रहते हुए नाशिक लोकसभा की जगह हमें यानी भाजपा को दें. ऐसी मांग वरिष्ठ नेता के पास की है. पिछले दिनों राष्ट्रवादी कॉग्रेस के हेवीवेट नेता छगन भुजबल के नाम पर हाल में नाशिक लोकसभा के लिए विशेष चर्चा है. भुजबल व्दारा दिल्ली फिल्डींग लगाने से दिल्ली से उनके नाम पर शिक्का लगने की बात सुत्रों व्दारा बताई जा रही है.
* उम्मीदवारी के पहले भुजबल रिजेक्ट, नाशिक के इस गांव के मुहाने पर गांवबंदी का बैनर
विद्यमान सांसद हेमंत गोडसे की परेशानी बढ रही है. हेमंत गोडसे यह 2014 वर्ष छगन भुजबल को हराकर विजयी हुए थे. दूसरी ओर छगन भुजबल को उम्मीदवारी मिलने के पहले ही नाशिक जिले में मराठा समाज की ओर उनका बडे प्रमाण पर विरोध दिखाई दे रहा है. गांव-गांव में भुजबल का विरोध में मराठा समाज आक्रमक होने से उनकों कर्ई स्थानों पर गांवबंदी की गई है तथा इस विरोध के चलते पोस्टर भी लगाए गए है. छगन भुजबल ने मराठा समाज के आरक्षण के विरोध करने पर गुस्सा अब भी मराठा समाज में दिखाई दे रहा है. जिसका परिणाम दिख रहा है.