हाईकोर्ट में जिलाधीश का एक और आदेश खारिज
मोर्शी स्मशान भूमि की निविदा प्रक्रिया को किया था रद्द
* निविदा धारक सुनिल ढोबले ने लगाई थी हाईकोर्ट में गुहार
* एड. जेेमिनी कासट की सफल पैरवी आयी काम
अमरावती /दि.6– मोर्शी नगरपालिका द्बारा अपने कार्यक्षेत्र हिंदू स्मशान भूमि का काम करने हेतु निविदा प्रक्रिया चलाई गई थी. जिसमें 8 आवेदन आये थे और 3 आवेदनों को पात्र माना गया था. इसमें से सुनिल ढोबले नामक ठेकेदार की निविदा सबसे कम राशि की रहने के चलते उन्हें 65 लाख रुपए के काम का ठेका मोर्शी नगरपालिका द्बारा दे दिया गया था. लेकिन जिस दिन ठेका आवंटीत हुआ, उसी दिन मोर्शी नप के पूर्व उपाध्यक्ष जितेंद्र गेडाम ने इस निविदा प्रक्रिया में गडबडी रहने की शिकायत करते हुए जिलाधीश से इस निविदा प्रक्रिया को रद्द करने की मांग 7 अप्रैल 2022 को की थी. जिसके बाद जिलाधीश पवनीत कौर ने अपने स्तर पर मामले की जांच करते हुए मोर्शी नगर परिषद के प्रशासक व मुख्याधिकारी को पत्र जारी करते हुए स्मशान भूमि की निविदा प्रक्रिया गलत तरीके से रहने के चलते पुरानी प्रक्रिया को रद्द करने और नई प्रक्रिया और नये सिरे से निविदा प्रक्रिया चलाने के आदेश दिये थे. जिसे निविदा धारक सुनिल ढोबले ने अपने वकील एड. जेमिनी कासट के जरिए नागपुर हाईकोर्ट में चुनौति दी थी. जहां पर न्या. ए.एस. चांदूरकर व न्या. उर्मिजा जोशी फालके की 2 सदस्यीय खंडपीठ ने दोनों पक्षों का युक्तिवाद सुनने के बाद जिलाधीश पवनीत कौर द्बारा पुरानी निविदा प्रक्रिया को रद्द करने और नये सिरे से निविदा प्रक्रिया शुरु करने के संदर्भ में जारी आदेश को खारिज कर दिया. साथ ही मौजूदा निविदा धारक सुनिल ढोबले को तुरंत कार्यारंभ आदेश याने वर्क ऑर्डर दिये जाने का भी निर्देश दिया.
इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट को बताया गया कि, वर्ष 2008 से पहले जिलाधीश को नगरपालिकाओं की निविदा प्रक्रियाओं में जांच करने के अधिकार हुआ करते थे, जो वर्ष 2008 में एक सरकारी आदेश के चलते खत्म हो गये. अत: जिलाधीश द्बारा मोर्शी नगरपालिका की निविदा प्रक्रिया को लेकर अपने पास प्राप्त शिकायत के आधार पर निविदा प्रक्रिया को खारिज करने का आदेश भी नहीं दिया जा सकता. जिस पर सरकारी पक्ष की ओर से बताया गया कि, अमरावती की जिलाधीश ने अपने पास रहने वाले अधिकारों का प्रयोग करते हुए पालिका प्रशासन को निविदा प्रक्रिया पर पुनर्विचार करने हेतु कहां है. जिस पर याचिकाकर्ता की ओर से जिलाधीश द्बारा विगत 30 जून पर जारी पत्र की प्रतिलिपी अदालत के समक्ष पेश करते हुए बताया गया कि, जिलाधीश ने साफ तौर पर पुरानी निविदा प्रक्रिया को खारिज करने और नये सिरे से निविदा प्रक्रिया शुरु करने के साथ-साथ निविदा प्रक्रिया में उल्लेखित किये जाने वाली शर्तों को लेकर भी निर्देश दिया है. इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि, इससे पहले निविदा प्रक्रिया में पालिका मुख्याधिकारी ने स्मशन भूमि विकास प्रारुप का नक्शा ठेकेदार द्बारा तैयार करते हुए उसे नगर परिषद से प्रमाणित करना अनिवार्य किया था. जो की पूरी तरह गलत था और इससे प्रतिस्पर्धा के अवसर घट गये थे. ऐसे में अगली बार इस शर्त के बीना निविदा प्रक्रिया पूर्ण की जाए, इस बिंदू को सामने रखते हुए एड. जेमिनी कासट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में अपने दलिले ली. जिसके बाद दोनों पक्षों का युक्तिवाद सुनते हुए हाईकोर्ट ने जिलाधीश की ओर से निविदा प्रक्रिया को रद्द करने के संदर्भ में जारी आदेश गलत रहने का फैसला सुनाया और याचिकाकर्ता सुनिल ढोबले के दावे में सही पाते हुए उन्हें मोर्शी नगर परिषद अंतर्गत हिंदू स्मशान भूमि के विकास कामों का ठेका और कार्यारंभ आदेश देने का निर्देश दिया.