नई दिल्ली/दि.1– बाबा रामदेव ने खुद को कोरोना काल में ठीक कर सकने का दावा कर तथा आधुनिक वैद्यकशास्त्र को मुर्ख व दिवालिया विज्ञान ऐसे संबोधित कर उसकी बदनामी कर मर्यादा पार की थी. ऐसे विचार इंडियन मेडिकल असोसिएशन( आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. आर.वी.अशोकन ने रखे.
गलतफहमी करने वाले विज्ञापन देने के बदले सर्वोच्च न्यायालय ने बाबा रामदेव व उनकी पतंजली आयुर्वेद कंपनी की पिछले महिने पर कतरे थे. उनको पहली बार आईएमए ने सोमवार को अपने विचार रखे थे. संगठन के अध्यक्ष अशोकन ने सोमवार को पीटीआई के संपादक के साथ बात करते हुए कहा कि रामदेव जैसे बडे नाम वाले राजकीय दृष्टी से बलशाली व्यक्ति के विरोध में न्यायालय में जाने का निर्णय क्यों लिया. इस प्रश्न पर जवाब देते हुए उन्होनें कहा कि इस प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय में मंगलवार को सुनवाई होगी.
रामदेव ने कोरोना टीकाकरण मुहिम व आधुनिक वैद्यकशास्त्र को बदनाम करने की मुहिम चलाने के आरोप की याचिका आईएमए ने 2022 में दाखिल की थी. उस पर सर्वोच्च न्यायाल में सुनवाई शुरू है.
आईएमए पर टीका दुर्भाग्यपूर्ण
सर्वोच्च न्यायलय ने आईएमए पर व निजी डॉक्टरों पर टीका किया. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. ऐसे विचार अशोकन ने रखे. न्यायालय के अस्पष्ट व बिनसिर पैर बयान के कारण निजी डॉक्टरों का मनोधर्य टुट गया है. बहुत से डॉक्टर कर्तव्यदक्ष है. वह नैतिकता व तत्व का सम्मान करते हुए सेवा निर्वाह करते है. कोविड के विरोध में संघर्ष के दौरान उन्होनें बडी संख्या में बलिदान दिया है. वैद्यकीय व्यावसायिक के लिए बिना सिर पैर वाले बयान यह सर्वोच्च न्यायालय को शोभा नहीं देते. ऐसा अशोकन ने कहा.