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मतदान केंद्रों पर मोबाइल पर पाबंदी

चुनाव आयोग के निर्णय पर हस्तक्षेप करने से उच्च न्यायालय का इंकार

मुंबई/दि.19– विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि पर मतदान केंद्रों पर मोबाइल ले जाने पर पाबंदी रहने का चुनाव आयोग का निर्णय किसी भी दृष्टि से गैरकानूनी नहीं है, ऐसा उच्च न्यायालय ने सोमवार को स्पष्ट किया. साथ ही चुनाव आयोग के इस निर्णय पर हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए इस निर्णय को चुनौती देनेवाले मनसे द्वारा दायर की गई जनहित याचिका न्यायालय ने खारिज कर दी.

चुनाव प्रक्रिया के कामकाज के लिए आवश्यक उपाययोजना करने का अधिकारे केंद्रीय चुनाव आयोग का है, ऐसा मुख्य न्यायमूर्ति देवेंद्रकुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने मनसे के कार्यकर्ता उजाला श्यामबिहारी यादव की याचिका खारिज करते हुए दर्ज किया. चुनाव यह पेचिदा प्रक्रिया है और इसमें डिजिलॉकर ऍप के जरिए पहचान पत्र प्रस्तुत करने की अनुमति देने की मांग याचिकाकर्ता कर रहे है. लेकिन किसी भी व्यक्ति को डिजिलॉकर द्वारा उनके मोबाइल के कागजपत्र जांच के लिए दिखाने का अधिकार नहीं है. इस कारण मतदान केंद्र पर मोबाइल लेकर जाने पर पाबंदी रहने का चुनाव आयोग का निर्णय किसी भी दृष्टि से गैरकानूनी दिखाई नहीं देता, ऐसा भी खंडपीठ ने स्पष्ट किया. केंद्रीय चुनाव आयोग की तरफ से वरिष्ठ वकील आशुतोष कुंभकोणी और वकील अक्षय शिंदे ने पक्ष रखा.

 * याचिकाकर्ता का दावा
– मोबाइल पर पाबंदी लगाने पर पहचान पत्र के लिए डिजिलॉकर पर आधारित रहे मतदाताओं को असुविधा.
– वरिष्ठ नागरिक और महिलाओं को सहायता के लिए संपर्क करने मोबाइल की आवश्यकता रह सकती है.
– मोबाइल यह संवाद करने और डिजीटाईजेशन के मकसद से एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है.
– मोबाइल ले जाने पर पाबंदी लगाना मतदाताओं के अधिकार का उल्लंघन है.

* चुनाव आयोग का जवाब
– मतदान केंद्रों पर मोबाइल पर पाबंदी लगानेवाला आदेश 1998 से अमल में रहते अब क्यों चुनौती दी गई?
– मतदान का महत्व कायम रखने के लिए गोपनीयता का सम्मान करना चाहिए.
– मोबाइल की अनुमति देने पर किस पार्टी को मतदान किया यह दिखाने के लिए वीडियो तैयार किए जाने की संभावना है.
– इसका निष्पक्ष चुनाव पर परिणाम हो सकता है.

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