![](https://mandalnews.com/wp-content/uploads/2023/09/Untitled-4-copy-29.jpg)
अकोला/दि.29– गणपति बाप्पा सभी के प्रिय भगवान हैं. दस दिन अतिथि बनकर घर में आते हैं. उनकी सभी यथायोग्य आवभगत करते हैं. उनके विसर्जन के समय सभी का गला भर आता है. अनेक अवसरों पर गणपति विसर्जित करने की इच्छा नहीं होती, विशेषकर बाल गोपाल का बाप्पा के प्रति लगाव जुड़ाव हो जाता है. गुरुवार शाम यहां सातव चौक के जलकुंड में विसर्जन हेतु लायी गई बाप्पा की मूर्ति चार साल के बालक के रो-रोकर बुरा हाल कर देने से वैसे ही घर ले जानी पड़ी.
नीलेश देव मित्र मंडल द्वारा जठारपेठ सातव चौक में जलकुंड तैयार किया गया. यहां चार साल का कियांश नीलेश राठी अपने पिता के साथ मूर्ति विसर्जन करने आया था. पिता द्वारा आरती कर जैसे ही मूर्ति विसर्जन के लिए कुंड में डाली गई, कियांश ने दहाड़े मारकर रोना शुरु कर दिया. उसके लगातार रोने से उसका गला सूख गया था. वह बाप्पा को घर लौटाने का हठ लेकर बैठ गया. आखिर उसे विसर्जित की गई मूर्ति खोजकर दी गई.