हॉकर्स के मकडजाल में उलझी शहर की सडकें
हॉकर्स झोन में जाने को तैयार ही नहीं हॉकर्स
* आये दिन चौक-चौराहों पर बाधित होता है यातायात
* मनपा के 18 हॉकर्स झोन में साबित हुए बिना काम के
* हॉकर्स झोन शहर से बाहर रहने के चलते हॉकरों की अनदेखी
अमरावती/दि.07 – अमरावती शहर के प्रमुख व्यापारिक क्षेत्रों की सडकों पर ट्रैफिक जाम होना अब रोजमर्रा की बात हो गई है तथा दिनभर के दौरान कई बार शहर की सडकों पर यातायात बाधित होता है. जिसकी वजह से लोगों के वाहन शहर की सडकों पर रेंगने हेतु मजबूर हो जाते है. इस बात को ध्यान में रखते हुए अमरावती मनपा द्वारा कई वर्ष पहले हॉकर्स झोन की संकल्पना को साकार करते हुए अमरावती शहर 18 स्थानों को हॉकर्स झोन के तौर पर चिन्हिंत व घोषित किया गया था. लेकिन इसके बावजूद भी हालात में कोई बदलाव नहीं आया है. क्योंकि अधिकांश हॉकर्स झोन शहर के बाहरी इलाकों में स्थित है और वहां पर कोई ग्राहक नहीं आता. जिसके चलते सडक किनारे फुटकर व्यवसाय करने वाले सभी हॉकर्स आज भी शहर के प्रमुख व्यापारिक क्षेत्रों के सडकों के किनारे ही अपने ठेले व हाथगाडियां लगाकर अपना व्यवसाय कर रहे है. जिसकी वजह से शहर में ट्रैफिक जाम की समस्या जस की तस है.
बता दें कि, अमरावती शहर में संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ से आगे, नवसारी, लालखडी व गडगडेश्वर मंदिर से आगे ऐसे स्थानों पर हॉकर्स झोन तय किये गये है. यह सभी स्थान शहर के मध्यस्थल से करीब 5 किमी दूर है. जहां पर कोई ग्राहक ही नहीं आता. जिसके चलते उन स्थानों पर जाने हेतु हॉकर्स भी तैयार नहीं होते. क्योंकि वहां पर अपेक्षित कमाई नहीं होती. ऐसे में शहर के प्रमुख रिहायशी क्षेत्रों सहित भीडभाड वाले चौक चौराहों एवं व्यापारिक क्षेत्रों में ही हॉकर्स की अच्छी खासी भीडभाड रहती है. क्योंकि ऐसे स्थानों पर उन्हें ग्राहक आसानी से मिल जाते है. लेकिन ऐसे भीडभाड वाले स्थानों पर गैर अनुशासित ढंग से खडे रहने वाले हॉकर्स की वजह से संबंधित क्षेत्रों की सडकों पर वाहनों की आवाजाही बुरी तरह से बाधित होती है. ऐसे में इन हॉकर्स को भीडभाड वाले स्थानों से हटाने के लिए अतिक्रमण निर्मूलन कार्रवाई ही एकमात्र पर्याय है. जिसके चलते मनपा प्रशासन द्वारा आये दिन शहर के विभिन्न क्षेत्रों में सडक घेरकर खडे रहने वाले हॉकर्स को हटाने हेतु अतिक्रमण निर्मूलन कार्रवाई की जाती है.
* आम नागरिक भी करते है नियमों का उल्लंघन
शहर में हॉकर्स की ओर से कोई भी तकलीफ होने या उनके ठेलों की वजह से खरोच करने अथवा छोटे मोटे हादसे घटित होने पर शिकायत करने वाले आम नागरिक ही इन हॉकर्स के पास से कोई भी खरीददारी करते हुए उनके हाथठेलों के सामने ही अपने दुपहिया वाहन लापरवाही के साथ खडे रखते हुए खरीददारी करते है और खुद आम नागरिक ही नियमों का पालन नहीं करते. बार-बार बताये जाने के बाद भी लोगबाग अपने वाहनों को सडक पर ही खडे रखते है. जिसकी वजह से अन्य लोगों को काफी तकलीफों का सामना करना पडता है. जिसके चलते शाम 6 बजे के बाद शहर के सभी प्रमुख रास्तों तथा चौक-चौराहों में हॉकर्स की भीडभाड के चलते ट्रैफिक जाम वाली स्थिति बन जाती है.
* हॉकर्स समिति ही नहीं
हॉकर्स पर नियंत्रण रखने के साथ ही उनकी समस्या को हल करने की जिम्मेदारी हॉकर्स समिति की होती है. परंतु शहर में अब तक हॉकर्स समिति का गठन ही नहीं किया गया है. हॉकर्स समिति का चुनाव कराने हेतु 20 लाख रुपयों की जरुरत पडती है और मनपा के लेखा व वित्त विभाग को बाजार परवाना विभाग ने यह रकम देने हेतु एक वर्ष के दौरान तीन बार पत्र भेजे है. परंतु अब तक पैसे नहीं मिले है. जिसकी वजह से हॉकर्स समिति का चुनाव भी नहीं कराया जा सका. इस समिति में हॉकर्स के 5 प्रतिनिधि चुनकर भेजे जाते है.
* हॉकर्स के खिलाफ कार्रवाई ही एकमात्र पर्याय
मनपा प्रशासन ने शहर में 18 हॉकर्स झोन निश्चित किये है. परंतु शहर के भीडभाड वाले इलाकों में सडकों के किनारे खडे रहने वाले हॉकर्स उन हॉकर्स झोन में जाने के लिए तैयार नहीं है. प्रत्येक झोन के सहायक आयुक्त को अपने झोन में सडक किनारे खडे रहने वाले सभी हॉकर्स को संबंधित झोन के हॉकर्स झोन में भेजने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. साथ ही यदि हॉकर्स मनपा द्वारा बनाये गये हॉकर्स झोन में जाने के लिए तैयार नहीं है, तो फिर अतिक्रमण निर्मूलन कार्रवाई ही एकमात्र पर्याय है.
– उदयसिंह चव्हाण,
अधीक्षक, बाजार परवाना.