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डिमेन्शिया का उपचार प्यार और मानसम्मान

डॉ. सिकंदर आडवानी का नुस्खा

* ‘विसरणान्यांना विसरु नका’ पुस्तक का भव्य विमोचन
अमरावती/दि.30– जिंदगी का सफर जन्म से ही शुरू हो जाता है. हर मीठे दर्द भरे अनुभव से व्यक्ति को अपना जीवन किस ओर ले जाना है, इस बारे में इसकी राह मिलती है. ऐसी बात सुप्रसिद्ध डॉ. सिकंदर अडवाणी ने अपनी ‘विसरणान्यांना विसरु नका’ पुस्तक के विमोचन के मौके पर कही. डॉ. अडवाणी ने कहा कि मैंने यह पुस्तक अपनी मां तथा बहन की बीमारी से जूझते वक्त आई परेशानियों को देखकर लिखी.

डॉ. सिकंदर अडवानी ने कहा कि यह पुस्तक अचानक आपके सामने नहीं इसके लिए सबसे पहली बार 2013 में विचार आया था. पुस्तक विमोचन के दौरान डॉ. सिकंदर ने बताया डिमेन्शिया नामक बीमारी मूलत: वरिष्ठ नागरिकों को होती है. इस बीमारी के शिकार वरिष्ठ नागरिकों के साथ कैसे सामंजस्य से व्यवहार किया जाए, यह जानने के लिए इस पुस्तक का हर पृष्ठ मार्गदर्शन करेगा. उन्होंने कहा कि हर घर में ज्यादा आयु के लोग रहते हैं, उन्हें बताई हुईं बातें उन्हें कुछ समय बात ही भूल जाती हैं, यह सब डिमेन्शिया नामक बीमारी के कारण होता है, जिसे आम भाषा मेंविस्मरण कहा जाता है. अडवाणी ने बताया कि मैंने अपनी मां की तकलीफों को बहुत करीब से देखा है. मां के बार-बार भूलने के कारण हम परिवार के लोगों को किस तरह की परेशानी होती है, इसका अनुभव भी मैंने किया है. मां की तरह अपनी बहन की परेशानियों से भी मैं तो चार होता रहा हूं. इस बीमारी से ग्रस्त लोगों के साथ किस तरह का व्यवहार किया जाए, यही बात पुस्तक के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने का प्रयास मैंने किया है, ऐसी बात कहते हुए डॉ. सिकंदर अडवाणी ने अपने उद्बोधन में कहा कि जब मेरे मन में पहली बार डिमेन्शिया के मरीज के साथ कैसा बर्ताव किया जाए, यह विचार आया था. उस वक्त मेरे दिमाग में पुस्तक प्रकाशित करने का कोई इरादा नहीं था, लेकिन जब इसके बारे में महानाट्य का मंचन किया गया, तब लगा इस बारे में और भी कुछ किया जा सकता है.

अगस्त 2018 में जब महानाट्य का मंचन किया गया तो इसके बारे में जानने की उत्सुकता और ज्यादा बढ़ी. डॉक्टर ने बताया कि 2018 में जिन लोगों ने विसरणान्यांना विसरू नका कामहानाट्य के रूप में मंचन किया गया, उसमें डिमेन्शिया के मरीज भी थे. डॉ. अडवाणी ने बताया कि अपने डिमेन्शिया के मरीज को ठीक करने के लिए हमने गीत गाने के साथ लोगों के मिलने का प्रक्रिया शुरू की. उन्होंने बताया कि महानाट्य के प्रस्तुत किए जाने वाला यह गीत हर किसी को बहुत भाया, जिसके बोल हैं- ‘चंद लमहें गुजारो मेरे साथ में खुशनुमा ये सफर दो मुझे सौगात में.’ डॉ. अडवाणी ने बताया कि परिवार, समाज, संगीत-नृत्य के माध्यम से हममें इस रोग से ग्रस्त लोगों का जीवन आनंददायी बनाया है. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. डी.जी. अडवाणी ने कहा कि मुझे इस बात की बेहद प्रसन्नता है कि मेरे छोटे भाई ने इतनी अच्छी किताब लिखी है. इस किताब के आवरण पृष्ठ पर मां की फोटो प्रकाशित करके मां के प्रति अपना समर्पण उसमें प्रस्तुत किया है. उन्होंने कहा कि मेरा छोटा भाई सिकंदर अब लेखक भी बन गया है. एक चिकित्सक के रूप में मैंने उसे अब तक देखा था, लेकिन इस पुस्तक के लेखन के बाद मैं उसे एक बहुत ही संवेदनशील व्यक्ति के रूप में देख रहा हूं. सिकंदर के बारे में उनके बड़े भाई ने कहा कि सिकंदर की पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम से पूरे परिवार का मान-सम्मान बढ़ा है. यह सब माता-पिता तथा भगवान के आशीर्वाद से ही संभव हो पाया है.

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि केरूप में उपस्थित नागपुर के न्यूरोलॉजिस्ट कंसल्टेंट डॉ. प्रफुल्ल शेवालकर ने कहा कि आज सिकंदर अडवाणी द्वारा लिखित इस पुस्तक का विमोचन करते वक्त मुझे बहुत आनंद की अनुभूति हो रही है. उन्होंने कहा कि सिकंदर जो काम कर रहे हैं, उसकी जितनी प्रशंसा की जाए, वह कम ही होगी, सच तो यह है कि उसकी प्रशंसा के लिए मेरे पास शब्द ही नहीं हैं. डॉ. शेवालकर ने डिमेन्शिया रोग कैसे होता है, क्यों होता इसके बारे में बड़े आसान शब्दों में बताया. उन्होंने कहा कि मेरे पिताजी की उम्र 93 वर्ष है, वे भी डिमेन्शिया के शिकार हैं. वे रात को कही बात सुबह भूल जाते हैं. उन्हें बार-बार एक ही बात बतानी पड़ती है. डॉ. शेवालकर ने कहा कि अगर आप किसी वरिष्ठ नागरिक से मिलें तो उनसे यह न पूछे कि मुझे पहचाना क्या, बल्कि अपना पूरा परिचय दें. उन्होंने कहा कि ज्यादा आयु होने के बाद भूलना स्थायी भाव हो जाता है, इसलिए बार-बार पूछने पर किसी वरिष्ठ नागरिक पर चिढ़ न निकाली जाए.कार्यक्रम में अमरावती के पुलिस आयुक्त नवीनचंद्र रेड्डी कहा कि उनके पास भी इस तरह की शिकायतें आती हैं कि ज्यादा उम्र के नागरिक जिसको बातें याद नहीं रहती हैं, उसके साथ धोखाधड़ी होती है. खासकर ऐसे वरिष्ठ नागरिकों के साथ धोखाधड़ी ज्यादा होती है, जो अपने बच्चों के साथ नहीं रहते हैं. कार्यक्रम में अश्विनी देशमुख, पवन अग्रवाल ने अपने विचार व्यक्त किए.

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