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मतदान का प्रतिशत कम रहने के बावजूद निर्दलीयों की संख्या बढी

अमरावती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में 24 निर्दलीय उम्मीदवार

अमरावती/दि.16– अमरावती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में कुल 37 उम्मीदवार मैदान में है. इनमें से 24 उम्मीदवार निर्दलीय है. पिछले कुछ चुनाव पर नजर डाले तो निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या बढी दिखाई देती है. इस कारण मतदाता उनकी तरफ अनदेखी करने लगे है. निर्दलीय उम्मीदवारों के वोटो की संख्या कम दिखाई देती है.

पिछले चुनाव में नवनीत राणा निर्दलीय उम्मीदवार रहने के बावजूद निर्वाचित हुई थी. उन्हें कांग्रेस और एनसीपी का समर्थन था. लेकिन अन्य 14 निर्दलीय उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. पिछले चुनाव में 9 विविध राजनीतिक दलों के उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे. नवनीत राणा 5 लाख 10 हजार 947 वोट लेकर निर्वाचित हुई थी. उन्होंने शिवसेना के उम्मीदवार आनंदराव अडसूल को 36 हजार 951 वोट से पराजित किया था. 14 निर्दलीयों ने मिलकर 36 हजार 543 वोट हासिल किए थे. अमरावती संसदीय क्षेत्र 2014 में हुए चुनाव में नवनीत राणा एनसीपी की उम्मीदवार थी. उन्हें शिवसेना के आनंदराव अडसूल ने पराजित किया था. अडसूल को 4 लाख 65 हजार 366 वोट प्राप्त हुए थे. जबकि नवनीत राणा को 3 लाख 28 हजार 556 वोट मिले थे. इस चुनाव में 9 निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में थे. इन सभी ने मिलकर 39 हजार 550 वोट लिए थे. ‘नोटा’ का बटन दबानेवाले 4 हजार 112 मतदाता थे. इसी संसदीय क्षेत्र में 2009 में हुए चुनाव में 12 निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में थे. इस चुनाव में शिवसेना के आनंदराव अडसूल 3 लाख 14 हजार वोट लेकर निर्वाचित हुए थे. उस समय उन्होंने रिपाई के राजेंद्र गवई को पराजित किया था. गवई को 2 लाख 52 हजार 570 वोट मिले थे. 2004 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार बच्चू कडू काफी चर्चा में रहे थे. इस चुनाव में शिवसेना के अनंतराव गुढे निर्वाचित हुए थे. उन्होंने बच्चू कडू को केवल 14 हजार 234 वोट से पराजित किया था. रिपाई के रा. सू. गवई को 1 लाख 50 हजार 902 वोट मिले थे. इस चुनाव में केवल 4 निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में थे.

* कांटे की टक्कर में गणित बिगडने की संभावना
कुछ दल चुनाव में प्रतिद्वंदी के वोट खाने के लिए निर्दलीय के रुप में उम्मीदवार मैदान में उतारते है. चुनाव में हार-जीत होती है. लेकिन जीतने ज्यादा प्रतिद्वंदी उतने ही वोटो का विभाजन होता है. निर्दलीय उम्मीदवारों के जीतने की संभावना यदि कम रही तो भी उन्हें मिले वोट हार-जीत का गणित बिगाड सकते है. निर्दलीय उम्मीदवारों में से अनेक उम्मीदवारों को जीतने की कोई आशा नहीं रहती. फिर भी निर्दलीय उम्मीदवार मतदाता का ध्यान विचलित करते है और ध्यान भी केंद्रित कर लेते है. पिछले कुछ चुनाव में अमरावती संसदीय क्षेत्र में निर्दलीय के वोट का परिणाम नतीजे बदलनेवाला नहीं रहा तो भी उससे कांटे की टक्कर का गणित बिगड सकता है, ऐसा राजनीतिक जानकारों का कहना है.

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