डॉ. सुनील देशमुख को सप्ताहभर में मिल सकती है कोई नई जिम्मेदारी
कांग्रेस के वरिष्ठ सूत्रों से मिली जानकारी
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फिर नये जोश से बाहर निकलेंगे पूर्व मंत्री
अमरावती/प्रतिनिधि दि.24 – करीब 12 वर्ष के अंतराल पश्चात विगत शनिवार 19 जून को कांग्रेस में वापिस लौटे पूर्व जिला पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख को पार्टी द्वारा आगामी सप्ताह कोई नई जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. ऐसी जानकारी पार्टी के वरिष्ठ सुत्रों से पता चली है. उल्लेखनीय है कि, डॉ. सुनील देशमुख के पार्टी में प्रवेश करते ही उनके समर्थकों द्वारा सोशल मीडिया पर कहा जाने लगा कि, पार्टी की ओर से डॉ. सुनील देशमुख को प्रदेश कार्याध्यक्ष या किसी अन्य प्रदेश का प्रभारी बनाया जा सकता है. किंतु पार्टी के वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक 12 वर्ष पार्टी से दूर रहे तथा इस दौरान करीब 7 वर्ष तक भाजपा में रहे डॉ. सुनील देशमुख को एकदम से इतनी बडी जिम्मेदारी नहीं सौंपी जायेगी. हालांकि उन्हें कौनसी जिम्मेदारी देना है यह आगामी सप्ताह में तय किया जायेगा.
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अन्य दो गुटों के साथ बनाये रखना होगा तालमेल
बता दें कि, डॉ. सुनील देशमुख के कांग्रेस में लौटते ही अब अमरावती शहर में कांग्रेस के तीन गुट हो गये है. जिसमें से एक गुट स्थानीय कांग्रेस विधायक सुलभा खोडके का है. वहीं दूसरा गुट मनपा की राजनीति पर मजबूत पकड रखनेवाले कांग्रेस शहराध्यक्ष व मनपा के नेता प्रतिपक्ष बबलू शेखावत तथा पूर्व महापौर व पार्षद विलास इंगोले का है. साथ ही अब डॉ. सुनील देशमुख भी पार्टी में लौट आये है, जिससे उनके समर्थकों का तीसरा गुट भी बनना तय है. अपने कांग्रेस में जाने की घोषणा करने के साथ ही डॉ. सुनील देशमुख ने मीडिया को दिये साक्षात्कार में कहा था कि, वे कांग्रेस शहराध्यक्ष बबलू शेखावत व पूर्व पार्षद विलास इंगोले के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे. वहीं कांग्रेस विधायक रहनेवाली सुलभा खोडके को लेकर पूछे गये सवाल में उन्होंने कहा था कि, चूंकि वे (खोडके) पार्टी की विधायक है, तो साथ मिलकर ही काम करना होगा. इन दोनों वक्तव्यों से यह साफ हो गया था कि, डॉ. देशमुख का झुकाव बबलू शेखावत व विलास इंगोले गुट की ओर कुछ अधिक है तथा वे खोडके गुट से समानांतर दूरी बनाकर रखना चाहते है.
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दोनों गुट ‘जश्न’ से रहे दूर
यहां पर एक बात ध्यान दिलाये जाने योग्य है कि, विगत 19 जून को जब कांग्रेस नेता व सांसद राहुल गांधी के जन्मदिवस अवसर पर डॉ. सुनील देशमुख द्वारा मुंबई स्थित कांग्रेस प्रदेश कार्यालय ‘तिलक भवन’ में एक बार फिर कांग्रेस में प्रवेश कर रहे थे, तब उनके समर्थकों द्वारा स्थानीय राजकमल चौराहे पर जमकर जश्न मनाया जा रहा था. ठीक इसी समय शहर व जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा जिलाधीश कार्यालय पर केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन करते हुए सांसद राहुल गांधी के जन्मदिन को संकल्प दिवस के तौर पर मनाया जा रहा था. ऐसे में बबलू शेखावत व विलास इंगोले तथा खोडके समर्थक गुट राजकमल चौक पर देशमुख समर्थकों द्वारा मनाये जानेवाले जश्न से पूरी तरह दूर रहे और जब रविवार की रात डॉ. सुनील देशमुख का कांग्रेसी बनकर अमरावती शहर में आगमन हुआ, तो शेखावत व इंगोले ने अपने समर्थकों के साथ डॉ. सुनील देशमुख के घर पर जाकर उनका सत्कार करने की औपचारिकता पूर्ण की. वहीं खोडके समर्थक गुट के किसी भी व्यक्ति ने अब तक देशमुख के दरबार में हाजरी नहीं लगायी है.
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देशमुख व खोडके दोनों को है शेखावत व इंगोले की जरूरत
बता दें कि, वर्ष 2014 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रावसाहब शेखावत को भाजपा प्रत्याशी डॉ. देशमुख के हाथोें हार का सामना करना पडा था. जिसके बाद रावसाहब शेखावत धीरे-धीरे राजनीतिक परिदृश्य से गायब होते गये और शहर में कांग्रेस लगभग नेतृत्वविहिन हो गई थी. ऐसे समय मनपा के नेता प्रतिपक्ष बबलू शेखावत तथा पूर्व महापौर व पार्षद विलास इंगोले ने शहर में कांग्रेस के अस्तित्व को पूरी मजबुती के साथ बचाये रखा. साथ ही मनपा की राजनीति सहित शहर में अपनी पकड भी मजबूत की. इसी के चलते कालांतर में पार्टी द्वारा पार्षद बबलू शेखावत को कांग्रेस शहराध्यक्ष का जिम्मा भी सौंपा गया. अब चूंकि मनपा का आगामी चुनाव एकल वार्ड पध्दति से होना है. ऐसे में सभी 85 वार्डों से टिकट के लिए सर्वाधिक कतार शेखावत व इंगोले के दरवाजे पर ही दिखाई देगी और पार्षद पद हेतु किसे टिकट देना है व किसे नहीं, इसका अंतिम फैसला बतौर शहराध्यक्ष बबलू शेखावत के हाथों में रहेगा. ऐसे में विधायक सुलभा खोडके तथा पूर्व विधायक डॉ. देशमुख इन दोनों को बबलू शेखावत व विलास इंगोले गुट के साथ व सहयोग की जरूरत पडेगी, ताकि वे अपने-अपने समर्थकों को भी मनपा के चुनावी मैदान में उतार सके.
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देशमुख गुट ने किया माहौल बनाने का प्रयास
पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख के बेहद खासमखास रहनेवाले करीब दो दर्जन लोगों ने डॉ. देशमुख के कांग्रेस में वापिस लौट आने के बाद समूचे शहर में उनका पहले की तरह माहौल बनाने की जबर्दस्त कोशिश की. जिसके तहत समूचे शहर में बैनर-पोस्टर लगाने के साथ-साथ सोशल मीडिया को भी देशमुख समर्थक पोस्ट से पाठ दिया गया, लेकिन इसके बावजूद शेखावत व इंगोले तथा खोडके गुट की ओर से डॉ. सुनील देशमुख की घर वापसी को लेकर कोई विशेष उत्साह नहीं दिखाया गया है.
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सुलभा खोडके हैं नाराज
दबे स्वर में कहा जा रहा है कि, सुनील देशमुख को दुबारा कांग्रेस में शामिल किये जाने को लेकर शहर की कांग्रेस विधायक सुलभा खोडके काफी नाराज है और जल्द ही वे वरिष्ठ स्तर पर अपनी नाराजगी को बेहद खुलकर व्यक्त भी कर सकती है. वहीं उनके पति व राकांपा के प्रदेश उपाध्यक्ष संजय खोडके फिलहाल पूरे हालात पर नजर रखे हुए हैं तथा ‘वेट एन्ड वॉच’ की भुमिका में है.
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देशमुख समर्थक पार्षदों के सामने पेंच
डॉ. सुनील देशमुख के भाजपा छोडकर कांग्रेस में चले जाने के बाद अब देशमुख समर्थक पार्षदों के सामने पेंच दिखाई दे रहा है और वे काफी हद तक संभ्रम में दिखाई दे रहे है. बता दें कि, वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव के समय जब कांग्रेस द्वारा डॉ. सुनील देशमुख की टिकट काटने के साथ ही उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था, तब मनपा के कई कांग्रेसी पार्षद डॉ. सुनील देशमुख की तरफ चले गये थे. उस समय डॉ. सुनील देशमुख ने जनविकास कांग्रेस के नाम से अपनी नई पार्टी भी बनायी थी, लेकिन कुछ तकनीकी दिक्कतों के चलते 70 फीसद पार्षदों को कांग्रेस में वापिस लौटना पडा और तत्कालीन कांग्रेस विधायक रावसाहब शेखावत के साथ खडे रहना पडा. उस घटना की पुनरावृत्ति को टालने हेतु कांग्रेस में प्रवेश करते समय डॉ. सुनील देशमुख ने अपने समर्थक पार्षदों से कहा है कि, वे फिलहाल जहां है, वहीं रहें, लेकिन समस्या यह है कि यदि देशमुख समर्थक पार्षद आज भाजपा नहीं छोडते, तो ऐन वक्त पर उन्हें कांग्रेस की टिकट मिलना मुश्किल होगा, क्योंकि उस वक्त गेंद बबलू शेखावत व विलास इंगोले के पाले में रहेगी और यदि आज पाला बदलते है, तो पार्षद पद चला जायेगा. ऐसे में डॉ. देशमुख समर्थक भाजपा पार्षद संभ्रम और तकनीकी पेंच में फंसे हुए नजर आ रहे है. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि, देशमुख गुट के भाजपाई पार्षदों के वार्डों से भी चुनाव लडनेवालों की लंबी फेरहिस्त है. ऐसे में अब यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि, आगामी चुनाव में किसका उंट, किसके तंबू में, किस करवट पर जाकर बैठता है.