नागपुर/दि.22- एनडीपीएस कानून पर अमल करने की आवश्यकता है. यदि उचित अमल नहीं हुआ तो युवा पीढी बर्बाद होगी. ऐसी चेतावनी मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ व्दारा दी गई. इस मामले में न्यायाधीश गोविंद सानप के समक्ष सुनवाई हुई.
नार्कोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सबस्टन्सेस (एनडीपीएस) कानून मादक पदार्थो पर रोक लगाने के लिए बनाया गया है. इस पर उचित प्रकार से अमल नहीं किया गया तो इसका धोका युवकों को होगा. भारत की जनसंख्या के औसत में 30 से 35 साल के दरम्यान एनडीपीएस कानून पर अमल नहीं किया गया तो निश्चित रुप से युवा पीढी का नुकसान होगा. ऐसी चेतावनी न्यायाधीश गोविंद सानप ने दी.
क्या है मामला?
अकोला जिले के अकोट पुलिस थाना अंतर्गत आरोपी राजू सोलंके और कैलाश पवार के खिलाफ एक झोपडी में गांजा रखने के मामले में एनडीपीएस कानून अंतर्गत अपराध दर्ज किया गया था. 23 सितंबर 2020 को अकोट पुलिस को मिली गुप्त सूचना के अनुसार झोपडी पर छापा मारा जिसमें पुलिस को 18 प्लास्टिक थैलियां मिली. जिसमें 39 किलो ग्राम गांजा था. दोनों आरोपियों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने यह गांजा तेल्हारा तहसील के बोरवा गांव के रहने वाले शत्रुघ्न चौहान के पास लाया है. इसके बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर शत्रुघ्न चौहान के घर छापा मारा. वहां से उन्होंने 5 बडे बोरे जिसमें 107 किलोग्राम गांजा भरा हुआ था. जिसे बरामद किया और यह मामला अकोला सत्र न्यायालय में दायर किया. अकोला सत्र न्यायालय ने आरोपी सोलंके और पवार को 12 साल कारावास की सजा व 1 लाख 20 हजार रुपये का दंड की सजा दी. दोनों आरोपियों ने अकोला सत्र न्यायालय के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी.
सभी न्यायाधीशों तक आदेश पहुंचाए
हाईकोर्ट ने इस मामले में सत्र न्यायालय का निर्णय रद्द कर मामले की कानूनन पुनः सुनवाई के आदेश दिए. इसके अलावा भविष्य में सत्र न्यायालय इस मामले में खबरदारी ले. इसके लिए यह आदेश सभी न्यायाधीशों तक पहुंचाए, ऐसे आदेश हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार को दिए.
शासन के लिए गंभीर समस्या
मादक पदार्थो की तस्करी और दुरुपयोग की वजह से शासन के सामने गंभीर समस्या निर्माण हुई है. मादक पदार्थ समाज के लिए खतरनाक है. एनडीपीएस कानून पर अमल करना सभी का कर्तव्य है. अगर इस कानून का प्रमाणिकता से पालन नहीं किया गया तो युवा पीढी बर्बाद होगी. ऐसा हाईकोर्ट व्दारा कहा गया.