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कासारखेड के काकड आरती की समाप्ती

अखंडित दिंडी की परंपरा कायम

* जय हरी विठ्ठल के जयघोष से परिसर गूंज उठा
धामणगांव रेलवे/दि.14 – कोजागिरी पूर्णिमा के दिन से वर्षो से निकलनेवाली श्री दत्त की दिंडी अखंड रुप से शुरु है. यह परंपरा अभी भी कासारखेड में कायम है. जय हरी विठ्ठल, राधाकृष्ण, राम नाम की गूंज से गांव में धार्मिक वातावरण निर्माण हो जाता है.
इस काकड आरती की समाप्ती बुधवार को की गई. वारकरी संप्रदाय में कार्तिक माह में काकड आरती का बडा महत्व रहने से ग्रामीण सहित शहरी इलाकों में सभी मंदिरों में तडके काकड आरती की मधुर आवाज सुनाई देती है. गांव में ब्रह्म मुहूर्त पर काकड आरती के स्वर गूंज रहे है. काकड आरती यानी हिंदू धर्म में भगवान को उठाने के लिए सुबह के समय की गई आरती रहती है. कोजागिरी पूर्णिमा के दिन से काकड आरती की शुरुआत होती है. त्रिपुरारी पूर्णिमा का अखंड गूंज शुरु रहती है. पहले के दौर में इस दिंडी में वरिष्ठों के गले में ही वीणा और खंजिरी दिखाई देती थी. लेकिन अब इस दिंडी को देखते ही देखते भव्य स्वरुप प्राप्त हो गया है. दिलीप आनंदराव मेंडुले, अमोल उल्हासराव मेंडुले के घर से हनुमान मंदिर तक, दत्त मंदिर, शिव मंदिर से तडके 5 बजे निकलनेवाली दिंडी में भक्तगणों की संख्या दिनोदिन बढती जा रही है. इस दिंडी की सुबह 7 बजे समाप्ती की गई. 13 नवंबर को पूरे गांव में महाप्रसाद के साथ काकड आरती का समापन किया गया.

 

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