* 217 गांव नदी किनारे
* राज्य और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन मिलकर करेगा बचाव
अमरावती/दि.16– 14 तहसील के अमरावती जिले के 482 गांवों को नदी -नाले की बाढ का खतरा होने की खतरनाक जानकारी सामने आयी है. जिसके कारण 5 लाख जनसंख्या बाधित थी. बाढ ग्रसित गांवों में से 217 गांव नदी किनारे होने से उन्हें अधिक खतरे की संभावना रहती है.
जिले में चंद्रभागा, शहानूर, दमयंती, नल, माडू, पेढी, वर्धा, पिंगलाई, बेंबला, सिपना ऐसी छोटी- बडी नदिया बहती है. इसके अलावा अमरावती सहित कुछ गांवों में बडे नाले भी है. बारिश के दिनों में बाढ आने से वे तेजी से बहते है. जिसके कारण नदी-नाले के किनारे पर रहनेवाले अनेक परिवारों को कुछ दिनों के लिए स्थलांतर करने के अलावा दूसरा पर्याय नहीं है. हाथ में आए आकडेवारीनुसार 11 गांव बडी नदियों के तथा 206 गांव छोटी नदियों और बडे नालियों के प्रभाव क्षेत्र में है. जिसके कारण इन गांवों में नदी किनारे रहनेवाले परिवारों को बारिश के कुछ दिन तक बाहर रहना पडता है. बाढग्रस्त की सूची में जिले के मुख्यालय स्थलांतर करने के अलावा दूसरा पर्याय नहीं है. हाथ में आये आकडेनुसार 11 गांव बडी नदियों के तथा 206 गांव छोटी नदियों और बडे नालों के प्रभाव क्षेत्र में है.
जिसके कारण गांव में नदी तट के परिवारों को बारिश में कुछ दिन घर छोडकर बाहर रहने मजबूर होना पडता है. बाहर संभावित गांवों की सूची में अमरावती तहसील के ही सर्वाधिक 62 जन बस्तियों में बाढ का खतरा रहता है. अचलपुर में 57, अंजनगांव में 56, वरूड में 51, दर्यापुर में 48, तिवसा में 45, मोर्शी में 38, भातकुली में 34, धामणगांव रेलवे में 27, नांदगांव खंडेश्वर में 24 गांव ऐसे हैं जहां बाढ का खतरा है. अधिकारियों ने बताया कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ का तालमेल रख बचाव कार्य होंगे.
* संस्थाएं भी करती है मदद
आरडीसी अनिल भटकर ने बताया कि बाढ की स्थिति टालने के लिए तैराकी जाननेवाले और पानी के प्रवाह के विरूध्द नाव खेने वाले, खतरा लेकर दूसरी की सहायता करनेवाले लोग एकत्र करने पडते है. उसके लिए राजस्व , पुलिस, जिला परिषद, होमगार्ड दल और कुछ स्वयंसेवी संगठन आगे आए है. उन्हें शीघ्र प्रशिक्षण दिया जायेगा.