अमरावती/दि.30– किसानों की फसलें घर तक पहुंचने के लिए उसे हर संकटों का सामना करना पड़ता है. उसे न घबराते हुए फिर से लड़कर जीतूंगा, ऐसी पोस्ट डालने वाले किसान पुत्र को सात समुद्र पार से भी बल मिला. उच्च शिक्षित भूमिपुत्रों के वहां के ग्रुप ने इस किसान से संपर्क साधकर उसे आर्थिक मदद भी की.
वर्धा जिले के आर्वी तहसील के बेल्हारा तांडा के मनोज जाधव इस पदवीधर किसान ने स्वयं के खेत में वन्य प्राणियों द्वारा किए गए नुकसान का व वनविभाग की शर्तों के कारण हो रहे नुकसान का विडीओ समाज माध्यम पर चार दिनों पूर्व डाला. वह विडीओ एमजीएचएस (मणीबाई गुजराती हाइस्कूल) इस वॉट्सएप ग्रुप पर आया. इस स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने वाले पांढरी गांव के मूल निवासी भूपेश कोकाटे अमेरिका के न्यू जर्सी राज्य के प्रिन्स्टन शहर में 23 वर्षों से रह रहे हैं. ग्रुप में आये मनोज जाधव का वीडीओ उन्होंने देखा और इस किसान को मदद करने के लिए ग्रुप के भारत तसरे नामक मित्र के साथ उनका नाम व पते की खोजबीन की. वॉट्स कॉलिंग द्वारा जानकारी ली. इस समय अमेरिका से भूपेश, अमरावती से भारत व आर्वी से मनोज के बीच संवाद हुआ. नैसर्गिक आपत्ति आती ही रहती है. रबी की फसल के लिए फिर से खड़ा होे और लड़, ऐसा कहते हुए इन भूमिपुत्रों ने उसकी आर्थिक मदद की.
* वनविभाग की लापरवाही
वनविभाग के पास ही खेत जमीन की फसलें वन्यजीवों के हैदोस से बचाने के लिए किसानों को वनविभाग द्वारा मदद की जाती है. लेकिन शर्त जाचक है. जिसके चलते योजनाओं का फायदा अनेक को नहीं होता. उस पर अनेक किसान ऑनलाईन पद्धति के कारण भी परेशान हैं. वन्यप्राणियों के कारण खेत में हुए नुकसान की जांच के लिए वनविभाग लापरवाही करता है. ऐसा किसानों का कहना है.
बंदरों द्वारा खेतों में किए गए नुकसान के कारण परेशान हो गया था. यह व्यथा किसे सुनाये. यह सूझ नहीं रहा था. इसलिए वीडीओ समाज माध्यम पर डाला. उनमें से एक भारत तसरे व उनके अमेरिका के मित्र भूपेश कोकाटे का था. कबूल किए अनुसार उन्होंने मेरे खाते में 27 सितंबर को पैसे डालने का मुझे बैंक की ओर से संदेश प्राप्त हुआ है.
– मनोज जाधव, बेल्हारा तांडा, त. आर्वी, जि. वर्धा