नागपुर/दि.21 – राज्य में इस बार विधानसभा चुनाव रंगतदार हुए. विधानसभा चुनाव में विदर्भ की ओर महायुति और महाविकास आघाडी ने जोर लगाया था. विदर्भ में विधानसभा की 62 सीटें है. इसलिए विदर्भ में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने वाला दल सत्ता के करीब जाएगा. विधानसभा चुनाव में लोकसभा चुनाव की तुलना में अधिक मतदान हुआ. इसलिए जीत का पलडा किसकी तरफ झुकेगा? इस ओर सभी की नजरें लगी है.
लोकसभा चुनाव में भाजपा को विदर्भ के मतदाताओं से काफी उम्मीदें रहने पर भाजपा, महायुति को अपेक्षित सफलता नहीं मिली. उसकी तुलना में मविआ में कांग्रेस को अपना गढ फिरसे हासिल करने अच्छी कामयाबी मिली. इसलिए कमजोर गड को विधानसभा चुनाव में फिरसे हासिल करने के लिए भाजपा ने कमर कसी थी. विधानसभा चुनाव में युति-आघाडी ने मतदाताओं की भावनाओं का समझते हुए उनका दिल जीतने का प्रयास किया. जिसमें भाजपा द्वारा एक है तो सेफ है, कटेंगे तो बटेंगे जैसे नारे भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं ने लगाए. हालांकि, वास्तव में देवेंद्र फडणवीस की लाडक्या बहिणीचा देवा भाउ यह टैग लाइन जनता की पसंद बनी. खेती के हुए भारी नुकसान प्रमुखता से सोयाबीन, कपास उत्पादक किसानों का सत्ताधारियों पर रहनेवाले रोष को देखते हुए सोयाबीन उत्पादक, कपास उत्पादक किानों को एमएसपी के अलावा बोनस देने की घोषणा की.
महाविकास आघाडी ने सोयाबीन, कपास उत्पादक किसानों की समस्या पर आधिक जोर दिया. इसके अलावा रोजगार, आरोग्य सेवा का भी मुद्दा भी प्रचार में उल्लेखित किया था. कांग्रेस और महाविकास आघाडी ने सोयाबीन को 7 हजार रुपए का दर देने की घोषणा की. तथा कपास को भी उचित दाम देने की घोषणा की. मविआ के प्रचार में किसान, युवक, महिला केंद्रस्थान पर रही.
* मतदान के लिए जोर…
मतदान का प्रतिशत बढाने के लिए महायुति-भाजपा ने अच्छा जोर लगाया. लोकसभा चुनाव में मतदान के कम प्रतिशत का झटका लगा था. इस बात को ध्यान में रखकर भाजपा ने अपने कोअर मतदाताओं की ओर ध्यान केंद्रीत किया और मतदान के लिए प्रयास किया. इसके अलावा हिंदुत्ववादी संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा बडे पैमानेप र मतदान के लिए मतदाताओं को आवाहन करने हेतु मुहिम चलाई गई. जिसके परिणामस्वरूप वोटिंग का प्रतिशत बढा, ऐसी चर्चा है. तो वहीं दूसरी ओर प्रतिस्पर्धी महाविकास आघाडी ने भी अपने मतदाताओं के लिए जोर लगाया था. इसलिए मतदान का प्रतिशत बढा है, ऐसा कहा जा रहा है.