अमरावती/दि.18- आगामी डेढ से दो माह में खरीफ फसलों की बुआई का सीझन शुरू हो जायेगा. जिसके लिए कृषि विभाग एवं किसानों की तैयारियां तेज हो गई है. इस समय सोयाबीन व कपास को बंपर दाम मिल रहे है. जिसके चलते इन फसलों का बुआई क्षेत्र बढ सकता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए कृषि विभाग द्वारा बीजों व खादों के लिए आवश्यक नियोजन किया जा रहा है. माना जा रहा है कि, इस बार करीब 7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की बुआई हो सकती है.
कृषि विभाग द्वारा सन 2021 के खरीफ सीझन में 6 लाख 98 हजार 796 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए खरीफ सीझन का नियोजन किया गया था. वहीं इस वर्ष जिले के 7 लाख 28 हजार 112 हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की बुआई प्रस्तावित है. विगत तीन वर्षों के बुआई क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष अनुमानित 6 लाख 83 हजार 704 हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की बुआई हो सकती है, ऐसा ग्राह्य माना जा रहा है. साथ ही यह संभावना भी जताई जा रही है कि, यदि मृग नक्षत्र की बारिश समय पर आती है, तो बुआई क्षेत्र में वृध्दि हो सकती है. किसानों के रूझान को देखते हुए इस बार सोयाबीन, कपास व तुअर का बुआई क्षेत्र बढ सकता है. साथ ही दर्यापुर तहसील को छोडकर जिले के अन्य क्षेत्रों में मूंग व उडद का बुआई क्षेत्र बहुत अधिक नहीं रहेगा. जिले में 80 फीसद क्षेत्र असिंचित रहने के चलते खरीफ का सीझन सबके लिए बेहद महत्वपूर्ण है. जिसमें बीज सबसे महत्वपूर्ण घटक है. खरीफ सीझन के दौरान बीजों की किल्लत न हो, इस हेतु कृषि विभाग द्वारा अभी से आवश्यक नियोजन किया जा रहा है.
* जिला प्रशासन का नहीं है नियोजन पर ध्यान, अब तक एक भी बैठक नहीं
उल्लेखनीय है कि, खरीफ फसलोें के लिए खाद व बीजों का नियोजन करने हेतु कृषि विभाग द्वारा फरवरी माह में ही संभावित प्रारूप तैयार कर लिया जाता है. किंतु इस समय अप्रैल माह आधा बीत जाने के बावजूद परिपूर्ण नियोजन तैयार नहीं हुआ है और जिलाधीश कार्यालय द्वारा खरीफ सीझन के नियोजन हेतु अब तक एक भी बैठक नहीं ली गई है. जिसे लेकर हैरत जतायी जा रही है. साथ ही यह आरोप भी लगाया जा रहा है कि, किसानों के मसले को लेकर जिला प्रशासन बिल्कुल भी गंभीर नहीं है.
* घरेलू बीजों के प्रयोग पर जोर
सोयाबीन के लिए घरेलू बीज ही सबसे उपयुक्त साबित होते है. जिस पर आवश्यक प्रक्रिया करते हुए बुआई से पूर्व उनकी उपज क्षमता की जांच करना महत्वपूर्ण होता है. इसके तहत जिन बीजों की उपज क्षमता 70 फीसद से अधिक है, उन्हें बुआई के लिए उपयुक्त माना जाता है. इसके अलावा तुअर, मूग व उडद के लिए भी घरेलू बीजों पर आवश्यक प्रक्रिया करते हुए उन्हें किसानों द्वारा प्रयोग में लाया जा सकता है. इसके लिए कृषि विभाग द्वारा लगातार जनजागृति की जा रही है, ताकि बीजों पर किसानों का पैसा नाहक खर्च न हो.
* उत्पादकता बढाने के लिए अष्टसुत्री
सोयाबीन की उत्पादकता बढाने के लिए कृषि विभाग द्वारा सुझाई गई अष्टसुत्री पर अमल करना किसानों के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगा. इसमें बीतों की उपज क्षमता, बीज प्रक्रिया, प्रति एकड 25 से 30 किलो बीजों का प्रयोग, 75 मिमी बारिश होने के बाद ही सोयाबीन की बुआई तथा बुआई के दौरान प्रत्येक बीज के बीच 3 से 5 सेमी की दूरी जैसी बातों का काफी महत्व रहेगा, ऐसा कृषि विभाग द्वारा बताया गया है.