नागपुर/दि.18– महायुति में विदर्भ की 62 में से 47 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार चुनाव लड रहे हैं. एक दर्जन निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित होने से उस जाती के व्यक्ति को टिकट दी गई है. शेष 35 सीटों में से 19 में भाजपा ने कुणबी और मराठा उम्मीदवार दिए है. जिससे कांग्रेस घिर गई है. ऐसा कहा जा रहा है. मराठा समाज की लोकसंख्या को ध्यान में रखकर भाजपा ने प्रतिनिधित्व देकर सामाजिक समीकरण साधने का प्रयास किया है, इसी प्रकार की भावना समाज के लोग भी व्यक्त कर रहे हैं.
विदर्भ में यह सीटें
विदर्भ में भाजपा के कोटे में आयी सीटो में से मेलघाट, मुर्तिजापुर, आर्णी, वाशिम, उमरखेड, रालेगांव, चंद्रपुर, आरमोरी, गडचिरोली, उमरेड, उत्तर नागपुर, आमगांव के स्थान आरक्षित है. शेष स्थानो पर विचार किया जाए तो नागपुर जिले में भाजपा ने पश्चिम नागपुर में सुधाकर कोहले, दक्षिण में मोहन मते, सावनेर में डॉ. आशिष देशमुख, हिंगना में समीर मेघे को प्रत्याशी बनाया है. साकोली में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले के सामने कुणबी अविनाश ब्राह्मणकर को मैदान में उतारा है.
अमरावती जिले की तिवसा सीट पर राजेश वानखडे, अचलपुर में प्रवीण तायडे और धामनगांव रेल्वे में प्रताप अडसड उम्मीदवार है. अकोला पूर्व से रणधीर सावरकर, अकोट से प्रकाश भारसाकले, बुलढाणा जिले के खामगांव में एड. आकाश फुंंडकर, जलगांव जामोद में पूर्व मंत्री डॉ. संजय कुटे, चिखली से श्वेता महल्ले, वाशिम जिले की कारंजा से सई डाहाके को उम्मीदवारी दी है.
चंद्रपुर जिले के ब्रह्मपुरी से नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार को धक्का देने कृष्णलाल सहारे को अवसर दिया गया है. सहारे ने नामांकन दाखिल करने की रैली के समाज बंधुओं की उपस्थिती से वडेट्टीवार को ब्रह्मपुरी में ही रुकना बाध्य हो गया. राजुरा में देवराव भुंगले और वरोरा में करण देवतले भाजपा उम्मीदवार है. वर्धा जिले में भाजपा ने दो कुणबी उम्मीदवार दिए है. उनमें आर्वी से सुमित वानखडे और वर्धा से पंकज भोयर शामिल है.
विदर्भ में ओबीसी समीकरणों को देखे तो कुणबी प्रमुख घटक है. पूर्व और पश्चिम विदर्भ के सभी 11 जिलों में कुणबी समाज की आबादी अधिक है. इसके बाद तेली, माली, पोवार व अन्य समाज की संख्या है. यही बात ध्यान में रखकर आबादी के प्रमाण में कुणबी और मराठा समाज को भाजपा ने भरपूर प्रतिनिधित्व दिया है. उम्मीदवारों के प्रत्येक सूची में यह समीकरण कायम रखा गया. पिछले कुछ वर्षो में ओबीसी मंत्रालय की स्थापना, ओबीसी के लिए होस्टल, स्वाधार योजना जैसे नये फंडे भाजपा ने अपनाएं है. केवल योजनाओं के माध्यम से ही नहीं सत्ता में भी उन्हें सहभागी कर आधे से अधिक स्थानों पर कुणबी और मराठा उम्मीदवार भाजपा ने दिए है.
पटोले, वडेट्टीवार के विरुध्द कुणबी अस्त
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले और नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार यह दो बडे पार्टी नेता है. दोनों नेताओं के मुकाबले में भाजपा ने अविनाश ब्रह्माणकर एवं कृष्णलाल सहारे के रुप में कुणबी उम्मीदवार दिए है. पटोले के साकोली में कुणबी विरुध्द कुणबी मुकाबला हो रहा है. कुणबी समाज सवाल उठा रहा है कि पटोले ने आज तक समाज के लिए क्या किया? जिससे ब्राह्मणकर को समाज का बल मिलने का चित्र है. जिसके कारण इस निर्वाचन क्षेत्र में मुकाबला रोचक हो गया है. ब्रह्मपुरी में भी कृष्णलाल सहारे के लिए कुणबी समाज एक होने से वडेट्टीवार को अपने ही निर्वाचन क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान देना पड रहा है.
राहुल गांधी का यह कैसा न्याय
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ओबीसी समाज को न्याय दिलाने की बातें अपनी सभाओं में कर रहे हैं. किंतु विदर्भ में उम्मीदवारी देने में उनके पक्ष के नेताओं और स्वयं उन्हें भी इस बात का विस्मरण हो जाने का चित्र है. विदर्भ में बहुसंख्यक होने पर भी कुणबी और मराठा समाज को अपेक्षित अवसर नहीं दिए गए है. यह कौन सा न्याय है? इन शब्दों में कुणबी समाज के नेताओं ने अपनी संतप्त भावनाएं व्यक्त की.