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अपर वर्धा प्रकल्पग्रस्तों पर लाठीचार्ज

वरुड में विधायक के कार्यालय पर हुआ था हल्लाबोल

अमरावती/दि.23– जमीन के मुआवजे सहित अपनी अन्य प्रलंबित मांगों को लेकर विगत 10 माह से अनशन कर रहे अपर वर्धा के प्रकल्पग्रस्तों ने कल वरुड स्थित विधायक देवेंद्र भुयार के कार्यालय पहुंचकर उनसे मुलाकात करने का प्रयास किया. इस समय विधायक भुयार द्वारा मुलाकात करने से इंकार किये जाने पर संतप्त हुए किसानों ने उनके कार्यालय पर हल्लाबोल आंदोलन करने की भूमिका अपनाई. जिसकी जानकारी मिलते ही पुलिस के दल ने तुरंत मौके पर पहुंचकर संतप्त किसानों को बाहर निकालने के लिए हलका लाठीचार्ज किया. जिसमें एक 75 वर्षीय किसान घायल हुआ. वहीं इस घटनाक्रम में कुछ किसानों को हिरासत में लेकर पुलिस थाने ले जाया गया. जिनके खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज करने की प्रक्रिया शुरु की गई.

बता दें कि, वरुड, मोर्शी व आष्टी तहसील, के अपर वर्धा प्रकल्पग्रस्त किसानों द्वारा अपनी जमीनों का मुआवजा मिलने हेतु विगत 10 वर्षों से अपर वर्धा प्रकल्पग्रस्त कृति समिति के बैनरतले मोर्शी तहसील कार्यालय के समक्ष आंदोलन शुरु है. परंतु प्रकल्पग्रस्त किसानों की ओर सरकार एवं प्रशासन द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा. वहीं राज्य के मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री द्वारा बैठक का आश्वासन दिये जाने के बावजूद भी सरकार द्वारा इस संदर्भ में बैठक नहीं बुलाई जा रही. जिससे व्यथित हुए प्रकल्पग्रस्त किसानों ने गत रोज तहसीलदार को निवेदन सौंपा. जिसके बाद इस पर जवाब पूछने हेतु क्षेत्र के विधायक देवेंद्र भुयार के वरुड स्थित शेतकरी भवन कार्यालय में पहुंचे. जहां पर किसानों ने ठिया आंदोलन करना शुरु किया. परंतु इस समय विधायक देवेंद्र भुयार ने प्रकल्पग्रस्त किसानों से मुलाकात करने से इंकार कर दिया. जिसकी जानकारी मिलते ही संतप्त हुए प्रकल्पग्रस्त किसानों ने विधायक भुयार के कार्यालय पर हल्लाबोल करने की भूमिका अपनाई.

* अनशन की ओर ध्यान ही नहीं
तीनों तहसीलों के प्रकल्पग्रस्त किसानों द्वारा अपनी जमीन के मुआवजे सहित अन्य मांगों के लिए अपर वर्धा प्रकल्पग्रस्त कृति समिति के बैनरतले विगत 10 माह से मोर्शी तहसील कार्यालय के समक्ष आंदोलन किया जा रहा है. इस दौरान अनशन व चक्काजाम आंदोलन करने के साथ ही मुंबई स्थित मंत्रालय जाकर उपरी मंजिल से पहली मंजिल पर लगी सुरक्षा जाली पर छलांग लगाते हुए भी आंदोलन किया गया. लेकिन इसके बावजूद भी 10 माह से यह प्रकल्पग्रस्त किसानों का मसला अधर में लटका हुआ है.

* किसान ने लगाई थी फांसी
विगत माह अपर वर्धा बांध पर प्रकल्पग्रस्त किसानों द्वारा जल समाधि आंदोलन किया गया था. जिसे लेकर काफी गाजा-बाजा भी हुआ था. परंतु इस आंदोलन के बावजूद समस्या का कोई समाधान नहीं निकलने से उद्बिग्न हुए गोपाल बाजीराव दहीवाडे नामक आष्टी निवासी किसान ने अनशन मंडप में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. जिसके बाद इस आंदोलन की गूंज पूरे राज्य में सुनाई दी थी और सरकार कुछ हद तक हरकम में भी आई थी. परंतु समय बितने के साथ ही यह मामला एक बार फिर ठंडे बस्ते में चला गया.

* विधायक ने किसानों से मिलना नकारा
आगामी कुछ दिनों में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो जाएगी. जिसके बाद हाथ में कुछ नहीं आएगा. इस बात को ध्यान में रखते हुए प्रकल्पग्रस्त किसानों ने गत रोज वरुड के तहसीलदार को निवेदन सौंपा और फिर क्षेत्र के विधायक देवेंद्र भुयार के स्थानीय कार्यालय पर जाकर उनसे मुलाकात करते हुए उन्हें अपनी समस्याएं बताने का प्रयास किया. लेकिन विधायक भुयार द्वारा मिलने से ही इंकार कर दिये जाने के चलते सभी प्रकल्पग्रस्त किसान संतप्त हो गये और उन्होंने विधायक के कार्यालय पर हल्लाबोल कर दिया.

अपर वर्धा प्रकल्पग्रस्त कृति समिति के साथ जब तक सरकार व प्रशासन द्वारा बैठक लेते हुए समाधान नहीं निकाला जाएगा, तब तक हमारा आंदोलन ऐसे ही शुरु रहेगा.
– उमेश शहाणे,
कृति समिति पदाधिकारी.

किसानों की समस्याओं का मुझे पूरा ऐहसास है. यहीं वजह है कि, मैंने अब तक तीन बार बैठक का आयोजन करवाया. गत रोज मैं कुछ व्यस्त था. जिसके चलते कार्यालय में उपस्थित नहीं था. किसानों के आंदोलन को मेरा पूरा सहयोग व समर्थन है.
– देवेंद्र भुयार,
विधायक, मोर्शी-वरुड निर्वाचन क्षेत्र.

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