* देखभाल करने तेलंगाना सरकार पूरी तरह रही विफल
नागपुर/दि.4– महाराष्ट्र तेलंगाना सीमा के सिरोंचा के नजदीकी पोचमपल्ली में तेलगांना सरकार के कालेश्वरम उपसा सिंचाई प्रकल्प का एक हिस्सा रहने वाले मेडिगड्डा लक्ष्मी बैरेज के पुल बुनियाद 21 अक्टूबर की रात खिसक जाने से अचानक गोदावरी नदी में विसर्ग करना पडा. इस प्रकल्प का नेशनल डैम सेफ्टी अॅथॉरिटी की टीम ने निरीक्षण कर रिपोर्ट दी है. इस रिपोर्ट में मेडिगड्डा बांध संदर्भ में नियोजन, डिजाइन, गुणवत्ता नियंत्रण तथा आपरेशन और देखभाल करने में तेलगांना सरकार विफल रही है. इन शब्दों में फटकार लगाई गई तथा हुए नुकसान को देखते हुए आगामी समय में मेडिगड्डा बांध का ही फिर से निर्माण करना होगा, ऐसा निष्कर्ष इस टीम ने निकाला है.
मेडिगड्डा (लक्ष्मी) यह बैरेज सत्ताधारी कलेश्वरम मल्टी-लिफ्ट इरिगेशन प्रकल्प का हिस्सा है.
21 अक्टूबर की शाम इस बैरेज के 15 से 21 दौरान के 6 खंभे में दरार आने से डूब गए. इस संबंध में नेशनल डैम सेफ्टी अथॉरिटी के 6 सदस्यीय तज्ञ टीम ने कालेश्वरम प्रकल्प के मेडिगड्डा (लक्ष्मी) बैरेज को 23 और 24 अक्टूबर को भेंट दी तथा तेलगांना के प्रकल्प विभाग के अधिकारियों की बैठक ली. निरीक्षण के बाद एनडीएसए के टीम ने 43 पेज की रिपोर्ट देकर इसमें कहा कि, 15 से 21 दरिमियान के खम्भे 16 हजार दशलक्ष घनफूट पानी के प्रवाह का सामना करने असक्षम रहे और वह खम्बे डूबने से फ्लोटिंग स्ट्रक्चर के रूप में किया डिजाइन, प्रकल्प का नियोजन और अमल की खामियां उजागर करते है. मेडिगड्डा बैरेज की ढिलाई से सभी 35 दरवाजे खोलना पडा. पेयजल और सिंचाई के लिए आरक्षित रखा 10 दशलक्ष घनफूट पानी छोडना पडा. इसका कारण है तेलगांना सरकार के प्रकल्प को लेकर नियोजन, डिजाइन, गुणवत्ता नियंत्रण तथा ऑपरेशन और देखभाल करने में असफलता, इन शब्दों में फटकार लगाई गई है. वर्तमान स्थिति में बैरेज की पूरी तरह से दुरूस्ती होने तक वह निरुपयोगी है. खराब हुए सातवें नंबर के खंभे का नए से निर्माण करना आवश्यक है. लेकिन यदि इसका निर्माण करते समय अन्य खंभे ढहने की संभावना अधिक है. इसलिए मेडिगड्डा प्रकल्प का सुधार कार्य करना यानी बांध का पुनर्निमाण करने जैसा है, ऐसा रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है.