माहुरगड पर शुरू हुआ नवरात्रौत्सव
रेणुका माता के दर्शनों हेतु उमडी भाविकों की भीड
यवतमाल/दि.9- महाराष्ट्र में देवी के साढे तीन शक्तिपीठों में से एक माहुर स्थित रेणुका देवी के मंदिर को पूर्णपीठ का दर्जा प्राप्त हैं. जहां पर प्रतिवर्ष नवरात्री का महोत्सव बडी धुमधाम से मनाया जाता है. किंतु इस वर्ष कोविड प्रतिबंधात्मक नियमों का पालन करते हुए माहुरगड पर नवरात्रौत्सव मनाया जा रहा है और यहां रोजाना सीमित संख्या में भाविक श्रध्दालुओं को मंदिर के भीतर प्रवेश दिया जा रहा है.
बता दें कि, गत वर्ष कोविड संक्रमण के खतरे को देखते हुए सभी मंदिर पूरी तरह से बंद रखे गये थे. ऐसे में माहुरगड के कपाट भी आम श्रध्दालुओं के लिए बंद थे और गत वर्ष नवरात्रौत्सव पर यहां कोई धार्मिक आयोजन भी नहीं हुआ. किंतु इस वर्ष राज्य सरकार द्वारा 7 अक्तूबर से राज्य में कई मंदिरों को खुलने की अनुमति देने का फैसला किया गया. ऐसे में घट स्थापना के पर्ववाले दिन राज्य के अन्य सभी मंदिरों की तरह माहुरगड स्थित रेणुका माता मंदिर के दरवाजे भी आम श्रध्दालुओें के लिए खोल दिये गये है. जहां पर रोजाना 16 हजार भाविक श्रध्दालुओं को दर्शन की अनुमति दी जा रही है. जिसमें 12 हजार को ऑनलाईन तथा 4 हजार को ऑफलाईन अनुमति देने की व्यवस्था की गई है. साथ ही मंदिर में दर्शन हेतु आनेवाले सभी भाविक श्रध्दालुओें के लिए कोविड टीकाकरण कराया जाना अनिवार्य किया गया है.
कोविड काल में भाविकों को किसी तरह की असुविधा का सामना न करना पडे, इसका प्रशासन द्वारा पूरा ख्याल रखा जा रहा है. साथ ही कोविड नियमों का कडाई से पालन करवाने हेतु भी तमाम आवश्यक कदम उठाये जा रहे है.
– राकेश गिड्डे
कोषाध्यक्ष, विश्वस्त समिती तथा तहसीलदार माहुर
* यादव कालीन है मंदिर का निर्माण
माहुर शहर से करीब 2.4 किमी की दूरी पर स्थित पहाडी में प्राकृतिक सौंदर्य के बीच रेणुका देवी का मंदिर है. जिसका निर्माण करीब 800 से 900 साल पहले देवगिरी के यादव वंशीय राजा द्वारा कराया गया था. मान्यता है कि, रेणुका माता भगवान परशुराम की माता है. ऐसे में माहुर को महाराष्ट्र का एक महान व महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल व पूर्ण शक्तिपीठ माना जाता है. यहां से प्रतिवर्ष दशहरा पर्व पर रेणुका माता के सम्मान में भव्य यात्रा का आयोजन भी होता है. साथ ही यह मान्यता भी है कि माहुरगड पर भगवान श्री दत्तात्रेय का जन्म हुआ था. वहीं रेणुका माता को महाराष्ट्र के कई परिवारों द्वारा अपनी कुलदेवता माना जाता है. ऐसे में माहुरगड पर आयोजीत होनेवाले नवरात्री महोत्सव का पुरे परिसर में काफी अधिक महत्व है.