नेताओं की प्रतीक्षा में विवाह हो रहे विलंब से
उनके आने का घराती और बारातियों का बढा सिरदर्द
अमरावती/ दि. 2-हाल के दिनों में शहर हो या देहात विवाह समारोह का स्वरूप बदल गया है. मान मनवार दोयम होगई है. नेताओं के आए बिना अक्षद नहीं डाली जायेगी, इस प्रकार का आग्रह वर और वधू पिता का रहता है. जिससे विवाह की विधि 2-2 घंटे विलंब से हो जाती है. पहले तो तेज धूप और फिर ऐसा विलंब बारातियों के साथ घराती का भी सिरदर्द और तकलीफ बढा रहा है. अनेक भागों में यह चित्र दिखाई दे रहा है. पंडाल में नेताओं की राह तांकते पसीने से तर बतर मेहमान नाराज हो जाने का भी मामला कई जगह देखने में आया.
विवाह प्रसंग जीवन में महत्वपूर्ण रहता है. हाल के वर्षो की प्रथा यह है कि बेटा- बेटी का विवाह बहुत ठांटबाट से किया जारहा है. बडे समारोह में तामझाम रहता है. देखा जाए तो अघोषित स्पर्धा रहती है. इन दिनों विवाह आयोजनों में राजनीतिक दलों के नेताओं को आमंत्रित करने की होड भी बढी है. ग्राम पंचायत से लेकर विधानसभा लोकसभा तक के नेताओं को आमंत्रित किया जाता है. जिससे देखा जाए तो लीडर लोगों का ही टेंशन बढा है. उन्हें एक ही दिन कई किलोमीटर सफर कर 10- 15 आयोजनों में उपस्थिति दर्ज करानी पडती है. ऐसे में नेताओं के आगमन के बाद ही मंगलाष्टक करने का प्रमाण बढा है. लीडर लोग आने में विलंब कर देते हैं. यह विलंब उस विवाह समारोह में मेहमानों और घराती दोनों का ही सरदर्द बढा देता है. क्योंकि लीडर्स के आने पर ही विवाह होते हैं तथा उपरांत भोजन आदि.
केवल लीडर आ रहे इसलिए नहीं तो कहीं-कहीं विवाह प्रसंग में डीजे की ताल पर नाचनेवालों की होड भी खूब रहती है. जिससे बारात दो- दो घंटे लेट हो जाती है. विवाह का मुहूर्त टल जाने से भी किस्से बहुतेरे देखे गए हैं.
तेज धूप में पंडाल में उमस के कारण मेहमानों का हाल बुरा होता है. बार-बार पसीना पोछते वह लोग बारात और अतिथियों का बेसब्री से इंतजार करते हैं. कई जगह विवाह का व्यवहार निपटाकर लोग बगैर भोजन किए निकलने में भलाई समझते है.
एक अनुभव यह भी है कि फोटोसेशन में रिश्तेदारों की बजाय फोटोग्राफर का वर-वधू पर भी अधिक ध्यान होता है. उनसे स्टेज पर ही नाना प्रकार की मुद्राएं करवाकर फोटो लिए जाते हैं. जिसमें कई बार काफी समय जाया होता है. इससे बाकी मेहमान फोटो से दूर रह जाते है.