अमरावती/दि.06– भारतीय परंपरा में परिवारिक वाद-विवाद व सामाजिक वाद निवारण करने में मध्यस्थों की भूमिका बहुत ही महत्व की मानी जाती है. इसी तरह प्रमुखता से परिवारिक वाद रहने पर परिवार व विशेषत्व से छोटे बच्चों को होने वाले नुकसान टालने के लिए मध्यस्थी का उपयोग बडे प्रमाण पर होता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए उच्च न्यायालय मुंबई के निर्देशानुसार परिवारिक न्यायलय, अमरावती में मध्यस्थी जनजागृती कार्यक्रम 4 मई शनिवार को दोपहर 2 बजे से 2.45 बजे तक आयोजित किया गया.
कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता सी.वी.डोरले ने ‘मध्यस्थी के बारे में मुल संकल्पना, जरुरत व फायदे’ इस विषय पर मार्गदर्शन किया. इसी तरह विवाह समुपदेशक, परिवारिक न्यायालय अमरावती के एस.एन. तेलरांधे ने ‘मध्यस्थी से आपसी समझौता एक अच्छा उपाय’ इस विषय पर सविस्तार जानकारी दी व परिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश आर. आर. पोंदकुले ने अध्यक्षीय भाषण में ‘न्यायाधीश वकील मध्यस्थी व पक्षकार की भूमिका’ पर सविस्तार विवेचन किया. कार्यक्रम में हुए मार्गदर्शन का लाभ लेने के लिए अनेक पक्षकार, वकील वर्ग, व सभी न्यायालय के अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन परिवारिक न्यायालय के न्यायालयीन व्यवस्थापक धनंजय क्षीरसागर ने किया लिपीक वाई. बी. देशमुख ने आभार माना.