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विदर्भ के मेडीकल कॉलेजेस को एमपीएससी से अलग रखा

पद भर्ती के विज्ञापन में समावेश नहीं

* उच्च न्यायालय ने भी व्यक्त की है नाराजगी
अमरावती/दि.20 – विदर्भ के चिकित्सा महाविद्यालयों, अस्पतालों में प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापक पद भर्ती संबंधी राज्य सेवा आयोग द्वारा जारी विज्ञापनों में उल्लेख नहीं होने से बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने नाखुशी जाहीर की. खंडपीठ ने चिकित्सा शिक्षा सचिव और सहायक संचालक को 22 नवंबर तक स्पष्टीकरण देने के आदेश दिए है. कहा गया कि, एमपीएससी को राज्य में विदर्भ क्षेत्र भी रहने का कदाचित विस्मरण हो गया हो अथवा जानबूझकर विदर्भ की ओर दुर्लक्ष्य किया जा रहा है.

उल्लेखनीय है कि, विदर्भ में शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों की हाल ही में शुरुआत हुई है. उनमें अमरावती, भंडारा, वाशिम, बुलढाणा का समावेश है. इसी सत्र से महाविद्यालय में पढाई और आवश्यक जानकारी के लिए अस्पताल शुरु किए गए हैं. फिर भी एमपीएससी के भर्ती विज्ञापनों में विदर्भ के मेडीकल कॉलेजेस की प्राध्यापक भर्ती का जरा भी उल्लेख नहीं है.

* कोर्ट द्वारा स्वयं होकर सुनवाई
गुरुवार को न्या. अविनाश घरोटे और न्या. अभय मंत्री की खंडपीठ ने इस बारे में सुनवाई की. बडी बात यह है कि, कोर्ट ने यह सुनवाई खुद होकर सुओमोटो रखी. दो दिनों के अंदर चिकित्सा शिक्षा सचिव और सहसंचालक से स्पष्टीकरण खंडपीठ ने मांगा है. एमपीएससी की पद भर्ती की एड में विदर्भ के एक भी कॉलेज का समावेश नहीं होने पर आश्चर्य के साथ आक्रोश भी कुछ प्रमाण में व्यक्त किया गया.

* 25 को अगली सुनवाई
यद्यपि कोर्ट ने प्रशासन को दो दिनों में जवाब मांगा है. तथापि आगामी 25 नवंबर को सुनवाई रखी गई है. कोर्ट ने जो नोटिस जारी की है उसमें कठोर भाषा का उपयोग किए जाने की जानकारी कोर्ट सूत्रों ने दी. उन्होंने बताया कि, विविध योजनाएं ऐसी जारी हुई है. जिससे राज्य सरकार के पास भरपूर फंड होने का आभास स्पष्ट हो रहा है. फिर भी विदर्भ के शासकीय चिकित्सा सेवाओं के विविध प्रस्तावों पर सरकार क्यों ध्यान नहीं दे रही, क्या मेडीकल शिक्षा के लिए सरकार के पास पैसे नहीं है?

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