अमरावती /दि.13– आज 13 दिसंबर व कल 14 दिसंबर की रात आकाश में पूर्व दिशा की ओर उल्का वर्षा होने का नयनाभिराम दृष्य दिखाई देगी. इस उल्का वर्षा को जेमिनिट्स कहा जाता है और यह उल्का वर्षा लघुग्रह 3200-फेथन के कचरे की वजह से होती है. जिसे आज व कल रात के समय खुली आंखों से देखा जा सकेगा.
जानकारी के मुताबिक सूर्य की प्रदक्षिणा करते समय धुमकेतु या लघुग्रह का कुछ हिस्सा उससे अलग हो जाता है और घुमकेतु व लघुग्रह द्वारा पीछे छोडे गए अवशेष पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से आकर्षित होकर पृथ्वी की ओर बढते है. परंतु पृथ्वी के वायू मंडल में प्रवेश करते समय घर्षण होकर उनमें चिंगारियां निकलने लगती है और वे हवा में ही नष्ट हो जाते है. इस समय पृथ्वी से आसमान में जलती व चमकती हुई एक लकीर का नजारा दिखाई देता है. जिसे आम बोलचाल में टूटता हुआ तारा कहा जाता है. इसे लेकर कई तरह की अंधश्रद्धाएं व मान्यताएं भी है. परंतु ऐसी अंधश्रद्धाओं मान्यताओं को खगोलशास्त्र में कोई आधार नहीं है.
इस बारे में जानकारी देते हुए खगोलविदो द्वारा बताया गया कि, आज व कल दोनों दिन होने वाली उल्का वर्षा को घर की छत पर अथवा शहर से बाहर जाकर अंधेरे में स्पष्ट तौर पर से देखा जा सकेगा. इसमें प्रत्येक घंटे 120 उल्काएं रंगबिरंगी रोशनी पैदा करती दिखाई देगी. उल्का निरीक्षण और इससे संबंधित शास्त्रीय जानकारी की खगोल जगत को बेहद आवश्यकता है. जिसके चलते सभी खगोल प्रेमिओं व अभ्यासकों से उल्का वर्षा का विलोभनीय दृष्य देखना का आवाहन मराठी विज्ञान परिषद के विभागीय अध्यक्ष प्रवीण गुल्हाणे व खगोल अभ्यासक विजय गिरुलकर द्वारा किया गया है.