कामा अस्पताल में प्रदूषण से बचने तैयार किया गया मिनी जंगल
मरीजो को मिल रहा नैसर्गिक लाभ
* चारों तरफ की हरियाली दे रही गर्मी से राहत
मुंबई/दि. 25– कोरोना के दौरान शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो रही थी. उस समय कई मरीजों को कृत्रिम ऑक्सीजन दी जा रही थी. हालांकि कृत्रिम ऑक्सीजन मिलने में भी दिक्कतें आ रही थी. कांक्रीट के जंगल में बदल चुके मुंबई में पेडों की कमी से ऑक्सीजन की मात्रा भी कम हो गई थी. बढता प्रदूषण भी सेहत के लिए हानिकारक साबित हो रहा है, ऐसे में इन सबसे बचने के लिए कामा अस्पताल में मिनी जंगल तैयार किया गया है. मियावाकी पद्धति से बना यह जंगल जहां प्रदूषण को रोकने में मददगार साबित हो रहा है. वहीं इससे मरीजों को शुद्ध हवा भी मिल रही है. राज्य सरकार का कामा अस्पताल एंड अल्बेलस अस्पताल महिलाओं और बच्चों के इलाज के लिए जाना जाता है. कामा अस्पताल के अधीक्षक डॉ. तुषार पालवे ने बताया कि, खुले बगीचे में मियावाकी पद्धति से मिनी शहरी जंगल बनाने की शुरुआत कोविड काल में की गई थी. अब धीरे-धीरे अस्पताल में तीन शहरी जंगल हो गए है. इस तीसरे शहरी मिनी जंगल की शुरुआत इसी महीने की गई है. मियावाकी जंगल से मरीज और उनके परिजनों को जहां शुद्ध हवा मिल रही है वहीं इस गर्मी में अस्पताल में आए लोगों को ठंडक भी मिल रही है.
क्या है मियावाकी पद्धति
मियावाकी पद्धति से तैयार वन हवा, पानी, शोर और मिट्टी के प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद करते है. मियावाकी पद्धति से तैयार वन भारी बारिश में मिट्टी की ऊपरी परत को बहने से रोकने का काम करते है. पौधे एक-दूसरे के करीब लगाए जाते है. जिससे पेडों की जड मिट्टी को जकड कर रखती है.
* तीसरे मिनी वन आयुर्वेदिक गुणवाले 2500 पौधे
डॉ. तुषार ने बताया कि, तीसरा मिनी वन ग्रीनजैप ग्रो फाउंडेशन के माध्यम से 8 हजार वर्ग फुट के क्षेत्र में बनाया जा रहा है. इसमें अडुलसा, आंवला, दालचीनी, गोंद, बादाम, फणस, कडीपत्ता, आम, कोकम, नागचाफा, करवंद, पिंपल, सोनाचाफा, सुपारी, तेजपत्ता, वड, रीठा, पारिजात जैसी 46 प्रजातियों के देशी और आयुर्वेदिक गुणवाले 2500 पौधे है.
* वन में साढे आठ हजार पौधे
ग्रीनजैप ग्रो फाउंडेशन के निदेशक अरदीप राठौड ने बताया कि, कामा अस्पताल में दो मियावाकी पद्धति के वन पहले से है. इसमें करीब साढे आठ हजार पौधे है. पहला मियावाकी पद्धति का वन 2020-21 में बनाया गया था. इस बार 15 हजार वर्गफीट पर 7026 पौधे लगाए गए. दूसरा मियावाकी वन 2022 में स्थापित किया गया.
* वाष्पीकरण को रोकने प्लास्टिक कवर
डॉ. तुषार ने बताया कि, पेडों की देखभाल करने, दिन में दो बार पेडों को पानी देने, उचित जल आपूर्ति के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग करने के लिए विशेष माली की व्यवस्था की गई है. पेडों पर लगे पानी के वाष्पीकरण को रोकने के लिए पेडों के चारों ओर प्लास्टिक कवर लगाया गया है.