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कुसंगति के कारण मेहनत से कमाया पैसा गलत काम में लगाते है

संत श्री डॉ.संतोषकुमारजी ने सच्चे राह पर चलने का दिखाया मार्ग

अमरावती/ दि.5 – स्थानीय सिंधु नगर में चल रहा ‘शिवधारा झूलेलाल चालीहा’ के 20 वें दिन परम पूज्य संत श्री डॉ. संतोषकुमारजी महाराज ने अपनी वाणी में बताया कि, चार प्रकार के लोग होते हैं. पहला तिमर से तिमर की ओर यात्रा करने वाले इसका मतलब है, जिनका किसी अच्छे संस्कारी सुविधा भरे घर में जनम नहीं हुआ और ना ही उनका जीवन कुछ अच्छा विशेष रहा और ना ही जीवन का कुछ अंत अच्छा हुआ. जैसे बिचारे बहुत से ऐसे काम करने वाले मजदूर होते हैं, जो कुसंगति के कारण मेहनत से कमाया हुआ पैसा, किसी गलत आदत में लगा देते हैं, यहां तक कि ना वह स्वयं सुखी रह पाते हैं और ना किसी को लाभ पहुंचा पाते हैं.
दूसरा, तिमर से प्रकाश की ओर यात्रा करने वाले, जिनका जन्म किसी सुविधा भरे सुसंस्कारी घर में तो नहीं हुआ, लेकिन अच्छी संगति, शुभ कर्म करते हुए, भक्ति भाव से आगे बढते जाते हैं. वह संसार में कुछ विशेष स्थान बना कर जाते हैं. जिनके माध्यम से संसार को सदियों तक लाभ पहुंचता है. जैसे संत कबीर, संत रविदासजी महाराज, गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज आदि जिनका जन्म तो विशेष परिस्थिति और विशेष घर में नहीं हुआ, लेकिन उन्होंने अपना उत्थान इतना किया कि युगों-युगों तक समाज उनका ऋणी रहेगा और उनकी वाणियों के माध्यम से मार्गदर्शन पाता रहेगा.
तीसरा, प्रकाश से तिमर की ओर यात्रा करने वाले, जिनका जन्मतो अच्छे परिवारों में हुआ, लेकिन उनका आचरण अच्छा ना होने के कारण उनके शरीर का अंत अच्छा ना हुआ और ना ही उनको मान सम्मान की दृष्टि से समाज देखता है. जैसे रावण, दुर्योधन, कंस आदि यहां तक की इनमें से किसी का भी नाम अपने बच्चों का कोई नहीं रखता.
चौथा, प्रकाश से प्रकाश की ओर यात्रा करने वाले लोग. जिनका जन्म तो संस्कारी वातावरण, अच्छे परिवार में हुआ. उन्होंने अपना आचरण, व्यवहार अच्छा बनाए रखा और संसार में कुछ विशेष करके गए. संसार उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने हेतु उनकी जयंती एवं निर्वाण तिथि भी एक उत्सव के रुप में मनाते रहते हैैं. जैसे भगवान बुध्दजी, भगवान महावीरजी एवं 1008 सतगुरु स्वामी शिवभजन जी महाराज जी. आगे महाराज श्री ने कहा कि हम सबको अभी खुद को जांचना होगा, हम किस वर्ग में आते हैं और उस अनुसार ही हमारा भविष्य एवं मोक्ष या आने वाला जन्म होगा, इसलिए हम हमेशा सतर्कता से भगवत भक्ति करते हुए जीवनयापन करे.

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