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जिले में सालभर में 32 हजार से अधिक महिलाओं की प्रसुति

45 प्रतिशत सिजेरियन शल्यक्रिया

अमरावती/दि.5-c के समय सिजेरियन शल्यक्रिया का विकल्प चुने, यह सलाह डॉक्टरों द्वारा दी जाती है. पिछले कुछ सालों में सिजेरियन प्रसुति का प्रमाण बढ गया है. जिले में 2023-24 इस वित्त वर्ष में कुल 32 हजार 164 महिलाओं की प्रसुति हुई. इनमें 14 हजार 400 यानी 45 प्रतिशत महिलाओं का सिजेरियन होने की जानकारी व आंकडे जिला स्वास्थ्य प्रशासन ने दी है.

नॉर्मल डिलेवरी सिजेरियन डिलेवरी से अधिक होती है. 10-15 साल पूर्व सिजेरियन ऑपरेशन का प्रमाण 15 प्रतिशत था. किंतु पिछले कुछ साल में सिजेरियन का प्रमाण बढ गया है. 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 इस एक साल के कालावधि में हुई प्रसुति के आंकडे देखकर यह बात स्पष्ट हुई है. प्रसुति दौरान जटिल चिकित्सा ऐसे अनेक कारणों से सिजेरियन प्रसुति का प्रमाण बढा है, ऐसा स्त्रीरोग विशेषज्ञ का कहना है. इसके साथ ही देरी से होनेवाले विवाह, बढती उम्र में गर्भधारणा, प्राकृतिक प्रसुति में होने वाली प्रसव पीडा टालने के लिए सिजेरियन प्रसुति का निर्णय लिया जाता है. जिले में 2023-24 में 32 हजार 164 महिलाओं की प्रसुति हुई. इनमें 17 हजार 764 प्राकृतिक तथा 14 हजार 400 प्रसुति सिजेरियन से होने की जानकारी जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्राप्त हुई है.

* इन कारणों से सिजेरियन का निर्णय
गर्भवती माता अथवा उसके शिशु को खतरा होगा तो सिजेरियन किया जाता है. नवजात के गले से नाल लपेटे जाने पर अथवा हार्टबीट कम होना आदि कारणों से सिजेरियन किया जाता है. इसको लेकर डॉक्टरों में भी तर्क-वितर्क और मतभेद है.

* निजी अस्पतालों में सिजेरियन पर जोर
सरकारी अस्पतालों से ज्यादा निजी अस्पतालों में सिजेरियन का प्रमाण अधिक होता है. तथा निजी अस्पताल में सिजेरियन का खर्च भी 30 से 50 हजार या इसके अधिक है. कई परिवारों का यह खर्च उठाना संभव नहीं होता, लेकिन माता और शिशु की सुरक्षा के लिए सिजेरियन करने पर अधिक जोर दिया जाता है.

* साल भर में जन्मे 32 हजार 394 बच्चे
1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक 32 हजार 164 महिलाओं की प्रसुति हुई. इन माताओं ने कुल 32 हजार 394 बालकों को जन्म दिया. इनमें 16 हजार 826 लडके तथा 15 हजार 568 कन्याओं का समावेश है. कुछ माताओं ने जुडवा शिशु को जन्म देने की जानकारी स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गई.

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