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सांसद नवनीत राणा ने पर्यावरण को लेकर संसद में जताई चिंता

प्रदूषण स्तर को घटाने बडे पैमाने पर जनजागृति को बताया जरूरी

नई दिल्ली/दि.13-अमरावती संसदीय क्षेत्र की सांसद नवनीत राणा ने विगत दिनों लोकसभा की कार्रवाई में हिस्सा लेते हुए लगातार बढते वैश्विक तापमान के मद्देनजर पर्यावरण संतुलन को बनाये रखने के संदर्भ में अपनी चिंता व्यक्त की. साथ ही कहा कि, प्रदूषण के स्तर को कम करने हेतु बडे पैमाने पर जनजागृति करना बेहद आवश्यक है. क्योेंकि यदि पृथ्वी एवं पर्यावरण की रक्षा नहीं की गई, तो मानव जाति का अस्तित्व भी खतरे में पड सकता है. अत: हर किसी ने धरती को अपनी माता समझकर प्राकृतिक साधन संपत्ति की रक्षा करने को पहली प्राथमिकता देनी चाहिए.
संसद के शीत सत्र दौरान पर्यावरण संतुलन व प्रदूषण के बढते स्तर के संदर्भ में हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए सांसद नवनीत राणा ने इस हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्ववाली केंद्र सरकार की ओर से किये जा रहे प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि, प्रदूषण के स्तर को घटाने तथा पर्यावरण के संतुलन को बनाये रखने हेतु सरकार द्वारा सौर उर्जा व बैटरी चलित वाहनों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए. साथ ही नमामी गंगे अभियान के तरह सभी शहरों व गांवों से होकर गुजरनेवाले नदी-नालों की भी साफ-सफाई व शुध्दीकरण पर ध्यान दिया जाना चाहिए. इस समय सांसद नवनीत राणा ने संसद में बताया कि, मुंंबई की पहचान रहनेवाली मिठी नदी अब नदी की बजाय एक दूषित नाला बनकर रह गई है. राज्य सरकार व मुंबई मनपा द्वारा प्रतिवर्ष मिठी नदी की सफाई के नाम पर हजारों-करोड रूपये का खर्च करने की बात कागजों पर दर्शाई जाती है. किंतु हकीकत में इस नदी की कोई साफ-सफाई नहीं होती. ऐसे में यह पैसा कहां खर्च होता है, इसकी भी जांच की जानी चाहिए.
* जंगलों का संरक्षण जरूरी, पर पुनर्वास पर भी ध्यान दिया जाये
इस चर्चा के दौरान सांसद नवनीत राणा ने कहा कि, इन दिनों इंसानों का रिहायशी क्षेत्र बढ रहा है. जिसकी वजह से जंगल कम हो रहे है. वे खुद मेलघाट जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती है. जहां पर जंगल बचाने के नाम पर आदिवासियों का जबरन स्थलांतरण किया जाता है और पुनर्वसित गांवों में अब तक आदिवासियों के लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं करायी गई है. वहीं वन विभाग के कोअर व बफर झोन में नियमों की अनदेखी करते हुए अवैध रूप से गिट्टी खदानें व स्टोन क्रशर चलाये जा रहे है. साथ ही बडे पैमाने पर गौण खनिज का उत्खनन भी किया जा रहा है. इस पर भी वनविभाग द्वारा लगाम लगायी जानी चाहिए. साथ ही बेहतरीन सडके, मेट्रो रेल, बडे फ्लायओवर व पुल जैसे विकासात्मक कार्य करते समय पर्यावरण को हानि नहीं पहुचेंगी, इस बात की ओर सरकार द्वारा निश्चित तौर पर ध्यान दिया जाना चाहिए. किंतु वन विभाग द्वारा भी विकास कामों को लेकर अपनी भुमिका को कुछ लचिला रखा जाना चाहिए. वनविभाग की अडियल भुमिका के चलते ही चिखलदरा में बननेवाले एशिया के सबसे पहले स्कायवॉक का काम अब तक प्रलंबीत पडा हुआ है. जबकि विदर्भ क्षेत्र के एकमात्र हिल स्टेशन चिखलदरा में है. पर्यटन एवं रोजगार को गति देने हेतु इस स्कायवॉक का काम पूरा होना बेहद जरूरी है.

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